जानिए किस तरह सिर्फ पांचवी पढ़े टांगे वालेन बना दी भारत की दूसरी सबसे बड़ी मसाला उत्पादक कंपनी बनाई। || Mahashay Dharmpal Gulati biography || story of MDH masale
शुरुआती जीवन: हम लोग धर्मपाल गुलाटी जी को MDH कंपनी के निर्माता और मालिक के तौर पर जानते हैं लेकिन इसकी शुरुआत 1919 में हुई थी जब धर्मपाल गुलाटी जी के पिता महाशय चुन्नीलाल गुलाटी जी ने महाशयां दी हट्टी (MDH) के नाम से अपनी मसालों की दुकान पहले के भारत के सियालकोट में शुरू की। और साल 1923 में धर्मपाल जी का जन्म हुआ, वे जब 7 साल के थे तब उनका मन पढ़ाई से ज्यादा खेलकूद और पतंग बाजी में लगा रहता, वे तब पांचवी कक्षा में पढ़ते थे, एक दिन किसी कारण उनके शिक्षक ने जब उन्हें मार तो उन्होंने इस समय यह निर्णय ले लिया कि वह अब से कभी भी स्कूल में नहीं जाएंगे। और इस तरह वह सिर्फ पांचवी कक्षा तक ही पढ़े, बचपन में उनके पिता उन्हें कई बड़े-बड़े व्यक्तियों के बारे में बताते थे और उनकी तरह बनने के लिए प्रेरित करते रहते, उसे वक्त उनके पिताजी ने उन्हें कोई काम करने के लिए कहा, इस दौरान उन्होंने कभी साबुन के फैक्ट्री में काम किया, तो कभी दो-दो पैसे में मेहंदी भी बेची ऐसे ही कई काम उन्होंने किए लेकिन उनका मन चंचल होने के कारण उनका मन इन कामों में कम लगता और वह एक काम छोड़ दूसरा काम शुरू कर देते , जिसे देखते हुए उनके पिताजी ने अपने ही मसाले के दुकान में बैठने की सलाह उन्हें दी, जिसमें उनका मन भी लगने लगा।
बुरे दिनों की शुरुआत :
जीवन अच्छी तरह से चल रहा था लेकिन साल 1947 में भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हुआ और सियालकोट पाकिस्तान में चला गया जिस कारण उन्हें पाकिस्तान से भाग कर भारत आना पड़ा, वह बताते हैं कि वे बरसात के दिन थे और वहां अपने रिश्तेदारों के साथ भारत के लिए रवाना हुए वह रात उनके लिए बड़ी मुश्किल रही , जैसे तैसे उन्होंने इस पर किया और भारत के अमृतसर ट्रेन से पहुंचे उसके बाद जो भी ट्रेन आई उसमें सिर्फ बिछी हुई थी और वह जरा सा भी लेट हो जाते तो उनका भी हाल यही होता, वह जब पहुंचे तो उन्होंने जहां भी देखा वहां पर लाशे बिछी हुई थी जिस भी शहर में गए उसे शहर में लाशे बिछी हुई थी ।
MDH मसाले:
उन्होंने रोजगार की तलाश में अपने रिश्तेदारों के साथ सफर करते हुए दिल्ली पहुंचे, वहां पर उन्होंने एक जगह देखी और वहां पर रहने लगे यह वक्त उनके लिए बहुत ही मुश्किल था, इस वक्त उनके पास पिताजी के दिए हुए ₹1500 थे क्योंकि उन्हें अपना पेट भी भरना था इसलिए उन्होंने ₹650 में एक घोड़ा और तांगा खरीद लिया और तांगा चलाने का काम करने लगे। उनके व्यापारी वृत्ति के कारण यह काम करना उन्हें अच्छा नहीं लगता था इस कारण उन्होंने तांगे वाले का काम 2 महीने ही किया और छोड़ दिया और अपना पुश्तैनी मसाले का व्यवसाय शुरू करने का निर्णय ले लिया। उन्होंने 1984 में दिल्ली में एक दुकान ली जहां से वह मसाले बेचा करते थे और यही से ही MDH की शुरुआत होती है। इस दौरान कई और भी व्यापारी थे जो मसाले बेचा करते थे लेकिन ज्यादा मुनाफे के लालच में वह मसाले में मिलावट किया करते थे लेकिन धर्मपाल जी ने ऐसा कभी नहीं किया, उन्होंने अपने ग्राहक को हमेशा अच्छी क्वालिटी के मसाले दिए जिस कारण महाशयां दी हट्टी MDH लोकप्रिय होने लगी, अब उनके पास बहुत से ग्राहक आने लगे थे , ग्राहकों को और भी आकर्षित करने के लिए उन्होंने अपने मसाले की विज्ञापन एक लोकल अखबार में दिए और अगली ही दिन उनकी दुकान पर ग्राहकों की भीड़ जम गई थी। इस तरह उन्होंने दिल्ली के और भी जगह पर अपनी दुकान खोली,
एक किस्सा :
एक वक्त की बात है क्योंकि वह इन चीजों पर खुद अकेली नियंत्रण नहीं रख सकते थे इस कारण इस व्यवसाय में हाथ बताने के लिए उन्होंने उनके रिश्तेदार और दोस्तों को इस व्यवसाय में ले आए, उन्होंने किसी को प्रोडक्शन का जिम्मा दिया तो किसी को सप्लाई का। जब भी एक बार हल्दी पाउडर का निर्माण कैसा चल रहा है देखने गए तो उन्होंने पाया कि इसमें चना दाल मिलाई जा रही है इस वक्त उन्हें बहुत बुरा लगा जिस कारण उन्होंने मसालों का खुद ही प्रोडक्शन करने का निर्णय लिया और अपनी छोटी से फैक्ट्री का निर्माण किया। इस वक्त सारे लोग पन्नी में मसाले बेच रहे थे तो उन्होंने अपने मसाले को छोटे-छोटे बन में डालकर बेचने लगे ।
अब वह अपनी क्वालिटी और यूनिकनेस के कारण और भी लोकप्रिय होने लगे उन्होंने अपने साथ डीलर्स को भी जोड़ा जो उनके मसाले को और भी जगह पहुंचने लगे, इस दौरान उन्होंने कई अलग-अलग तरह के मसले जैसे की पाव भाजी मसाला, सांभर मसाला, पानी पुरी मसाला ऐसे ही कई तरह के मसले लॉन्च किया और आज वह 50 से भी ज्यादा प्रकार की मसाले बेचते हैं। व्यवसाय बहुत ही तेजी के साथ बढ़ने लगा और वह अपने मसाले पूरे भारत में बेचने लगे,
इस दौरान उनके सामने कई समस्या है और उन्हें कई सदमे भी सहने पड़े, जब 1992 में उनकी पत्नी लीलावती चलबासी और उसके ठीक डेढ़ महीने बाद अचानक ही उनके छोटे बेटे संजू गुलाटी चल बसे। लेकिन यह दोहरा सदमा भी उन्हें उनके लक्ष्य से भटक न सका। उन्होंने उनकी कंपनी MDH के लिए बहुत ज्यादा मेहनत, आज वह भारत के साथ ही 100 से भी ज्यादा देशों में अपनी मसाले बेचते हैं। साल 2017 में वह FMGC क्षेत्र के सबसे ज्यादा सैलरी लेने वाले सीईओ बने जो की 21 करोड़ थी इस समय उनकी उम्र 94 सालथी। और वह अपनी 90% सैलरी दान में दिया करते थे। आगे 2019 में उन्हें पद्मभूषण का सम्मानमिला, उनके 60 साल के मेहनत के कारण आज महाशयां दी हट्टी MDH मसाला कंपनी की कीमत 10000 करोड़ रुपए से भी ज्यादा है। और वह हर साल 2000 करोड रुपए से भी ज्यादा का व्यापार कर रहे हैं। वह 2 दिसंबर 2020 में हम सब में से चले गए इसके बाद एमडीएच को उनके बेटे राजीव गुलाटी चलते हैं। यहां दिलचस्प कहानी थी महाशय धर्मपाल गुलाटी जी की।
स्ट्रेटजी
1. क्वालिटी : जब एक तरफ लोग मिलावट करके अच्छा मुनाफा कमा रहे थे तो धर्मपाल जी ने ऐसा ना करते हुए ग्राहकों को अच्छे मसाले परोसे जिस कारण वह लोकप्रिय हुए।
2. यूनीकनेस: वह अपनी अलग पहचान बनाना चाहते थे, जिसकारन उन्होंने मसाले को डब्बे में पैक करके बेचने लगे और उन्होंने अपनी अलग पहचान बना ली।
यह उन कारणों में से एक है जिस कारण वह इतने लोक प्रिय हो पाए।
Conclusion : धर्मपाल जी ने अपने जीवन में बहुत ही बड़ी-बड़ी समस्याओं का सामना किया। उन्होंने अपने ब्रांड MDH को बड़ा बनाने के लिए जीवन भर मेहनत की और कभी भी रिटायरमेंट के बारे में सोचा नहीं। दो आने कमाने वाला व्यक्ति कैसे अपने मेहनत के दम पर अरबो का साम्राज्य तैयार कर सकता है इसकी जीती जागती मसाल हे धर्मपाल जी। धन्यवाद
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