विजय संकेश्वर जी की कहानी || Vijay sankeshwar biography Hindi || VRL logistic story
About biography
यह कहानी विजय संकेश्वर जी की है। जिनको की VRL logistic pvt. Ltd. कंपनी के संस्थापक के रूप में जाना जाता है। जोकी भारत की सबसे बड़ी लॉजिस्टिक कंपनी है। जिसकी शुरुआत उन्होंने एक ट्रक लेकर की थी और आज वह 5000 से भी ज्यादा ट्रको के मालिक है। आप इसमें उनकी शुरुआती जीवन, संघर्ष, VRL कंपनी और उनके इतने बड़े कंपनी बनाने तक के दिलचस्प को सफल के बारे में जानने वाले हैं।
शुरुआती जीवन
उनका जन्म साल 1950 में कर्नाटक के बेतमिरी नामक गांव में हुआ था। और वहां धरवाड़ा के रहने वाले थे। उनके पिता बस्वन्नप्पा संकेश्वर छोटा सा पेंटिंग प्रेस का व्यवसाय किया करते थे, जिससे कि आज संकेश्वर प्रिंटिंग प्राइवेट लिमिटेड के नाम से जाना जाता है। जिसमें वह कर्नाटक विद्यापीठ (Karnataka University) के लिए जर्नल,किताबें,नोट्स और ऐसे ही इत्यादि चीज बनाने का काम किया करते थे। जब संकेश्वर 16 साल के हुए तो वह अपने पारिवारिक व्यवसाय में उतरे, और उनके व्यवसाय का निरीक्षण करने लगे। जब वह 19 साल के हुए तब उन्होंने देखा कि उनके प्रिंटिंग प्रेस की कार्यक्षमता कम है, जिसे बढ़ाने के लिए उन्होंने डेढ़ लाख रुपए में नहीं मशीन लाई। जिस कारण उनका मुनाफा और भी ज्यादा बढ़ गया,और उनका प्रिंटिंग प्रेस का व्यवसाय ओर भी तेजी के साथ बढ़ने लगा।
ट्रांसपोर्ट व्यवसाय की शुरुआत
सब कुछ बहुतही अच्छे तरीके से चल रहा था लेकिन विजय खुद का कुछ बड़ा करना चाहते थे। उन्हें उनके प्रिंटिंग प्रेस के व्यवसाय में ट्रांसपोर्ट की बहुत ज्यादा जरूरत पड़ती थी, और उस समय कोई विश्वसनीय ट्रांसपोर्टर जो कि अच्छे से काम करे, मिलना बहुत ही ज्यादा मुश्किल था। इसे देख उन्हें इसमें व्यवसाय का अवसर दिखा। इस व्यवसाय के बारे में विजय ने तीन से चार साल रिसर्च किया। और साल 1975 में उन्होंने इस व्यवसाय में आने का निर्णय लिया। उसे समय लोग कहां करते थे कि, यह व्यवसाय बहुत ज्यादा मुश्किल है, और तुम इसमें टिक नहीं पाओगे, फिर भी वह इस व्यवसाय को आजमाना चाहते थे। जिसकी शुरुआत करने के लिए उन्हें पैसे की जरूरत थी, जिस कारन वह अपने पिताजी के पास गए, लेकिन उनके पिताजी ने उन्हें पैसे देने से मना कर दिया। तब उन्होंने अपने दोस्तों से 2 से 2.5 लाख का कर्जा लिया और एक ट्रक खरीद। शुरुआती दिनों में वह खुद ही ट्रक को चलाएं करते थे। जिस दौरान उन्होंने इस व्यवसाय के बारे में बहुत कुछ सिखा। वह कम पैसों में ग्राहकों को अच्छी और विश्वसनीय सर्विस प्रोवाइड करा करते थे। जिस कारण शुरुआती दिनों में उन्हें कम कमिशन और इत्यादि कारणों के वजह से उन्हें बहुत ज्यादा नुकसान उठाना पड़ रहा था। लेकिन फिर भी उन्होंने अपने आप को इस व्यवसाय में टीकाकर रखा।
VijayAnand roadlines
अब संकेश्वर बड़ा खेल खेलना चाहते थे। यहबात साल 1978 की है। जब वह अपना व्यवसाय बढ़ाने के लिए हुबली जाकर रहने लगे और तीन नए ट्रक खरीदे। साल 1983 में उन्होंने अपनी कंपनी विजयानंद रोड लाइन प्राइवेट लिमिटेड नाम से दर्ज की। यहां से ही VRL logistics pvt. Ltd. कंपनी की शुरुआत होती है। उनकी सर्विस बहुत अच्छी और किफायती थी, सथही वह टाइम पर डिलीवरी किया करते थे। जिस कारण उनका कस्टमर बेस अच्छा बन गया। व्यवसाय अच्छे तरीके से चलने लगा, साल 1990 आते-आते उनके पास 117 ट्रक और कारोबार 4 करोड़ सेभी ज्यादा का हो गया था। आगे साल 1993 से वह कर्नाटक के बाहर भी अपनी सेवाएं देने लगे। साल 1996 में उन्होंने चार बस भी खरीद, जोकि बेंगलुरु से हुबली के बीच में चला करती थी। उनके पास टेक्नोलॉजी नहीं थी जिस कारन वह इन सब चीजों पर नियंत्रण खोते जा रहे थे। इसलिए उन्होंने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करते हुए नियंत्रक टीम बनाई, जिस कारन उन्हें इन सब चीजों पर नियंत्रण रखना आसान हो गया है।
राजनीतिक जीवन
उन्होंने साल 1993 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) में सदस्यता ली,और साल 1996 में उत्तर धरवाड़ा से पहली बार लोकसभा का चुनाव लड़े और जीत भी गए। उन्होंने साल 1996 से 1998 तक भूतल मंत्री का दायित्व संभाला। साल 1998 में उन्होंने दूसरी बार लोकसभा का चुनाव जीते, और साल 1999 में वह तीसरी बार लोकसभा चुनाव जीतकर आए , और आगे उन्होंने भाजपा को छोड़कर खुद की कन्नडा नाडू पार्टी बनाई, बाद में वह कर्नाटक जनता पक्ष से जुड़े।
Newspaper business
साथ ही उन्होंने कर्नाटक में सबसे ज्यादा चलने वाला न्यूज़पेपर विजय कर्नाटका बनाया। जिसे की साल 2007 में थे टाइम्स ऑफ़ इंडिया (Times of India) द्वारा खरीद लिया गया। आगे उन्होंने साल 2012 में अपना दूसरा न्यूजपेपर ब्रांड विजया वाहिनी लॉन्च किया, जो कि आज कर्नाटक का नंबर वन न्यूज़ पेपर बन गया है, जो रोजाना 8 लाख से भी ज्यादा न्यूजपेपर बेचते हे।
VRL logistic Pvt. Ltd.
यह बात 2006 की है, जब एंट्री होती है आनंद संकेश्वर जीकी जो विजय संकेश्वर जी के बेटे हैं। और आज वह इस कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर के तौर पर काम कर रहे हैं। उन्होंने व्यवसाय में आते ही इसे बढ़ाने के लिए निवेशक को लाने लगे। उसे समय उनके पास 1000 ट्रक हुआ करते थे। वह व्यवसाय को बढ़ने लगे। आगे उन्होंने साल 2007 में कंपनी का नाम विजयानंद रोड लाइन से बदलकर VRL logistic Pvt. Ltd. किया। व्यवसाय और भी तेजी के साथ बढ़ने लगा, और साल 2015 में उन्होंने उनके कंपनी का IPO लॉन्च किया जो की बहुत ही ज्यादा सफल रहा। साल 2019 में विजय संकेश्वर जी को राष्ट्रपति जी द्वारा पद्मश्री सम्मान मिला। जोकि अपने आप में बहुत बड़ी बात हे। आज वह भारत की सबसे बड़ी लॉजिस्टिक कंपनी है। उनके पास खुद के 5000 से भी ज्यादा ट्रक है, और उनकी कंपनी की कीमत 50,000 करोड रुपए से भी ज्यादा की है जो की बहुत बड़ी बात है। इस लंबे सफर को देखते हुए उनके बेटे ने उनके बायोपिक विजयानंद नाम से बनाई जो कि साल 2022 में लॉन्च हुई। अब उन्होंने यह ऐलान किया है कि वह और भी 1500 नए वाहन खरीदने वाले है। यह कहानी थी VRL कंपनी और उसके निर्माता विजय संकेश्वर जी की।
कंक्लुजन
विजय संकेश्वर जी के जीवन की बातें आज की युवाओं के लिए बहुत ही ज्यादा प्रेरणादाई है। उन्होंने अपने व्यवसाय की शुरुआत बहुत ही छोटे से की थी और आज वह बहुत बड़े कंपनी बन चुकी है। जिस की यह बात साफ होती है कि हर चीज की शुरुआत भले ही छोटी हो लेकिन मेहनत से हम उसे बहुत बड़ा बना सकते हैं। धन्यवाद
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