संजीव बिकचंदनी जीवनी || Sanjeev bhikachandani biography
यह जीवनी हमे naukri.com ओर jeevansathi.com बनाकर, युवाओं को नोकरी दिलाने के साथ ही जीवनसाथी ढूंढने में मदत करणे वाले और उनके सपने पुरी करने वाले व्यक्ति संजीव बिकचंदनी जी के बारे मे बताती है। उन्होंने अपने हजारो करोडो के साम्राज्य बनाने की शुरुआत एक छोटे से कमरे से की थी, और आज उन्हे भारतीय स्टार्टअप के जनक के रूप मे जाना जाता है। आप इसे पढ़ कर उनके संपूर्ण जीवन के साथ ही उनके शानदार सफर के बारे में जानेंगे।
शुरुआती जीवन
उनका जन्म साल 1963 में दिल्ली में हुआ था। उनके पिता एक डॉक्टर थे और वह एक पढ़े-लिखे परिवार से आते थे। जिस कारण वह अपने पढ़ाई पर अच्छे से ध्यान दे पा रहे थे, और वह पढ़ाई में बहुत ही अच्छे थे जिस कारण उनके परिवार वाले चाहते थे कि वह एक अच्छी नौकरी करें, लेकिन उन्हें तो पहले से ही व्यवसाय में बहुत ही ज्यादा रुचि थी। जिस कारण वह आगे चलकर एक अच्छा व्यवसाय ही करना चाहते थे। उन्होंने अपनी दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई दिल्ली के सेंट कोलंबस स्कूल से पूरी की, और आगे B.A. तक की पढ़ाई दिल्ली के सेंट स्टीफन कॉलेज से पूरी की।
करियर
यह बात साल 1984 की है जब उन्होंने अपनी B.A की पढ़ाई पूरी कर ली थी। अब वह व्यवसाय करना चाहते थे। जिस के लिए उन्हें पैसे की जरूरत थी, तो वह लिंटास (Lintas) नामक कंपनी में अकाउंट एग्जीक्यूटिव के तौर पर काम करने लगे।
यह बात साल 1987 के है। जब वह MBA करने के लिए आईआईएम अहमदाबाद (IIM Ahmedabad) में दाखिला लेकर अहमदाबाद चले गए, और साल 1989 में एमबीए की पढ़ाई पूरी की और हिंदुस्तान मिल्क फूड मैन्युफैक्चरर में नौकरी करने लगे। इसी दौरान उन्होंने अपनी क्लासमेट सुरभि जी से शादी की। उन्होंने अपने व्यवसाय के सपने के लिए शादी के तुरंत एक साल बाद अपनी नौकरी छोड़ दी, और इस निर्णय में सुरभि जी ने भी उनका बहुत ही ज्यादा साथ दिया। उन्होंने अपने दोस्त कपिल वर्मा के साथ मिलकर खुद के ही घर के छोटे से कमरे से दो कंपनियों की नींव राखी। वह कंपनी थी और एंडमार्क जो की ट्रेड और डेटाबेस संबंधित काम किया करती थी और इन्फोएज जो की शुरुआती दिनों में एंट्री लेवल सैलेरी सर्वे किया करती थी। शुरुआती दिनों में उन्हें इस व्यवसाय में कुछ भी फायदा नहीं हुआ करता था। जिसकारण साथ में ही वहां वीकेंड में कॉलेज में जाकर बढ़ाने का काम किया करते थे। यह बात साल 1993 की है जब उनकी कंपनी जैसा वह चाहते थे वैसी चल नहीं रही थी। जिस कारण उनके पार्टनर और उन्होंने अलग होने का निर्णय ले लिया। जहां पर कपिल जी ने एंडमार्क को अपने हिस्से में रख लिया तो वही इन्फोएज संजीव जी के हिस्से में आई। समय इन दोनों में वह उनकी इन्फोएज द्वारा कई और काम आजमा रहे थे और कंपनी के लिए बहुत से ही ज्यादा संघर्ष कर रहे थे।
Naukri.com
उन दिनों कोई नौकरी पेशा व्यक्ति हो या कोई विद्यार्थी उन लोगों के द्वारा विज्ञापनों को देखने और पढ़ने में बहुत ही ज्यादा रुचि देखी जा रही थी। यह उन्हें किसी अवसर की तरह दिख रहा था। लेकिन वह इस अवसर का इस्तेमाल किस तरह करना है समझ नहीं पा रहे थे। यह बात साल 1996 की है जब दिल्ली में आईटी एशिया एग्जिबिशन (IT aisa exibition) लगा हुआ था, और सुनील उसे देखने गए थे जहां पर उन्होंने देखा कि एक स्टॉल पर WWW. लिखा हुआ। था इसके बारे में और भी जानकारी प्राप्त करने की जिज्ञासा उनके अंदर जागती है, और वह उसे स्टॉल के पास जाकर इसके बारे में जानकारी लेने लगते हैं। जहां पर उन्हें इंटरनेट, वेबसाइट और अन्य कई चीजों के बारे में पता चलता है। उन दिनों लोग मैगजीन और अखबारों में ही नौकरी के विज्ञापन देखा करते थे, और इंटरनेट का भविष्य देखते हुए उन्हें यहां से ही naukri.com नाम से वेबसाइट शुरू करने का विचार आता है। जहां पर लोग विज्ञापनों को देख पाए। वह वेबसाइट बनाने के लिए एक डीलर से बात करते हैं। लेकिन वह डीलर उनके लिए वेबसाइट बनाने के लिए मना कर देता है। क्योंकि सारे सरवर पश्चिमी देशों में स्थित थे, और सभी वेबसाइट भी वहीं से ही चलाई जाती थी। यह उनके लिए एक समस्या बन गई। जिसके समाधान के तौर पर उन्हें एक उपाय सूझता है। दरअसल उनका भाई जो कि अमेरिका में नौकरी किया करता था, वह उनके मदद से साल 1997 में अमेरिका से ही naukari.com को 1000 नौकरियों के विज्ञापनों के साथ लॉन्च कर देते हे। जिस कारण न्यूज़ मीडिया ने भी उनको बहुत ही ज्यादा सुर्खियों में लाया। अब वह बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय होने लगे। और उन्होंने पहले साल 12 लाख का व्यापार किया। जहां पर कंपनियों को नौकरी के विज्ञापन अखबार में देना महंगा पड़ रहा था, वहीं पर naukri.com पर विज्ञापन देना सस्ता पढ़ रहा था। जिस कारण अब लोग भी उन्हें अपने नौकरी के विज्ञापन देने के लिए कॉल किया करते थे। अब उनका जो यह विचार था सफल रहा। उन्हें लगता था कि वह इस व्यवसाय को बिना किसी फंडिंग के वैसे ही बड़ा पाएंगे, लेकिन अब इस व्यवसाय में भी प्रतियोगिता बढ़ रही थी जिसे देखते हुए उन्होंने फंडिंग उठाना शुरू कर दिया। जिसके बाद तो वह और भी ज्यादा तेजी के साथ बढ़ने लगे साल 2004 आते-आते उनका कारोबार कई गुना बढ़कर 45 करोड़ रुपए हो गया।
The father of Indian startup
यह बात साल 2004 की है जब इन्फोएज jivansathi.com जो कि भारतीय ऑनलाइन डेटिंग सेवाएं देने वाली कंपनी है। उसे खरीद कर नियंत्रण में ले लिया।
उन्होंने साल 2005 में 99acres.com की स्थापना की। जिससे कि लोग घर प्लॉट आदि चीजो को आसानी के साथ खरीद ओर बेच पाते हैं।
यह बात साल 2006 में अपना IPO लॉन्च किया। जिस कारण वह मुंबई स्टॉक एक्सचेंज में लिस्ट होने वाली पहले भारतीय इंटरनेट कंपनी बनी।
उन्होंने खुद सफल होने के बाद, कई और लोगों को और स्टार्टअप को सफल बनाने में मदद की है। जैसे कि उन्होंने जोमैटो (Zomato) और पॉलिसी बाजार (policy bajar) जैसे स्टार्टअप के शुरुआती दिनों में इन कंपनियों में बहुत ही बड़ा निवेश किया था। जिस कारण वह इतने सफल हो पाए। साथ ही में उन्होंने कई स्टार्टअप में और कंपनियों में निवेश किया। जिस कारण उन्हें भारतीय स्टार्टअप के जनक के तौर पर जानने लगे। आज संजीव जी की इन्फोएज कंपनी के द्वारा naukri.com, jivansathi.com, 90acers.com, shiksha.com जैसे कई और भी वेबसाइट चलते हैं। जिस कारण वह इतने सफल हो पाए है।
Achievement
यह उनके मेहनत और संघर्ष का ही नतीजा है कि जहां पर लिंकडीन (LinkedIn) के पास भारतीय बाजार में सिर्फ 10% हिस्सेदारी है। तो वहीं naukari.com के पास भारतीय बाजार में सबसे ज्यादा 60% की हिस्सेदारी है जो। की naukri.com को भारत की नंबर वन जॉब साइट बनती है।
फोर्ब्स की लिस्ट के अनुसार आज वह $400 करोड डालर यानी भारतीय रुपए में 33 हजार करोड रुपए के मालिक होने के साथ ही, भारत के सबसे अमीर व्यक्तियों के लिस्ट में 75 वे स्थान पर आते हैं। उनके भारतीय युवाओं के भविष्य बनाने में योगदान और उनकी इतनी बड़ी उपलब्धियां को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें साल 2020 में पद्मश्री सम्मान दिया। जो की एक बहुत ही बड़ी बातें हैं। यह कहानी थी संजू संजीव बिकचंदानी जी की।
कंक्लुजन
इस जीवनी से हमने जाना कि, किस तरह संजीव जी ने बहुत ही ज्यादा संघर्ष करके उनके कंपनी को इतना सफल बना पाए। उनका यह सफर बहुत ही ज्यादा शानदार और खतरों से भरा रहा। वह कहते हैं कि अगर आपको अपने स्टार्टअप को बहुत ही ज्यादा बड़ा करना है, तो आपको बहुत ही ज्यादा मेहनत करने की तैयारी रखनी चाहिए। धन्यवाद
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साथ ही आपको इसमें कई सफल कंपनी योक केस स्टडी भी पढ़ने मिलेंगे जिससे उनके इतने सफल बनने का राज आप जान पाएंगे । जिसे आप अपने व्यवसाय में इस्तेमाल कर उसे सफल बना सकते हैं
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