𝐉𝐚𝐜𝐤 𝐦𝐚
शुरुआती जीवन
जैक मा जिनका की असली नाम मा यून (ma yun) है। उनका जन्म 10 सितंबर 1964 में चीन के हंगजाऊ शहर के एक सामान्य परिवार में हुआ था। उनके पिता एक फोटोग्राफर के तौर पर काम किया करते थे। जिसकारण उन्हें बचपन में कई बार आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ रहा था।
यह बात 1972 की है। जब जैक सिर्फ 8 साल के ही थे, तब USA के प्रेसिडेंट रिचर्ड निक्सन उनके शहर दौरे पर आए थे, जिसके बाद जैक USA और उनकी अंग्रेजी भाषा के प्रति बहुत ही ज्यादा आकर्षित होते हैं। अब वहां अंग्रेजी भाषा सीखना चाहते थे। यह बात तब की है, जब चीन में अंग्रेजी भाषा को ज्यादा महत्व नहीं दिया जाता था। उनके अंदर अंग्रेजी भाषा सीखने के प्रति इतना जुनून था, की वह 9 साल की उम्र में ही टूर गाइड का काम करने लगते हैं। जिससे कि वह रोजाना अलग-अलग विदेशी पर्यटकों से मिलते थे, और अपने टूटी-फूटी अंग्रेजी भाषा में संवाद किया करते थे, और जब उनकी उम्र 12 साल ही थी उसे समय वहां एक पॉकेट एफएम खरीदने हैं, और उसे पर अंग्रेजी भाषा की चैनल सुना करते थे, जिससे कि वह अंग्रेजी भाषा सीख पाए। इसी दौरान उनकी मुलाकात पेन पान्स से होती है, जो की हंगजाऊ घूमने आए थे और जल्द ही वह एक अच्छे दोस्त भी बन जाते हैं। जिसके बाद पेन उन्हें जैक नाम देता है, क्योंकि उन्हें जैक का असली नाम कहने में बहुत ही ज्यादा परेशानी होती थी। जिसके बाद वह मां यून से जैक मा नाम से पहचाने जाने लगे।
शैक्षिक जीवन
जैक ने अपने शैक्षिक जीवन में हर मोड़ पर कई समस्याओं का और असफलताओं का सामना किया। क्योंकि उन्हें शुरू से ही पढ़ाई करने में कुछ खास दिलचस्प नहीं, और वह गणित विषय में बहुत ही ज्यादा कमजोर है। आप यह जानकर हैरान हो जाएंगे, इसी कारण से वह चौथी कक्षा में आठ बार फेल होते हैं। इसी दौरान उन्हें गई और समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जैसे कि जब उनकी उम्र 13 साल होती है। तब उन्हें हंगजाऊ 8th मिडिल स्कूल से निकाल दिया जाता है। क्योंकि वह स्कूल में हमेशा ही बच्चों के साथ लड़ाई झगड़ों में उलझे रहते थे। जिसके बाद वह हंगजाऊ के दूसरे स्कूल में दाखिला लेते हैं। जैसे-जैसे वह अपने पढ़ाई को जारी रखते हैं। आगे क्योंकि उन्हें गणित के विषय में कम बहुत अंक आते थे, जिस कारण उन्हें चाइनीस हाईस्कूल में दाखिला लेने के लिए 2 साल लग जाते हैं।
यह बात साल 1982 की है। जब वह जैसे-तैसे अपने हाईस्कूल की पढ़ाई पूरी कर लेते हैं। इसके बाद कॉलेज में दाखिला लेने के लिए, वह चीन की राष्ट्रीय कॉलेज प्रवेश परीक्षा जो कि चीन की कॉलेज में एडमिशन लेने के लिए आयोजित की जाती है, वह इस परीक्षा को देते हैं लेकिन। उन्होंने गणित के विषय में सिर्फ एक ही पॉइंट मिलता है जिस कारन वह इस परीक्षा में फेल हो जाते हैं। जिसके बाद उनका भाई जैक की नौकरी के लिए एक होटल में निवेदन देता है, लेकिन उन्हें यहां से रिजेक्ट कर दिया जाता है। जिसके बाद जैक फिर से साल 1983 में दूसरी बार कॉलेज प्रवेश परीक्षा देते हैं, और वह इस बार भी इस परीक्षा में फेल हो जाते हैं। लेकिन इस बार उनके गणित के विषय में 19 पॉइंट आते हैं। इन सब के बाद उनके परिवार वाले उन्हें आगे परीक्षा को देने के लिए मना कर दे है। इन सब की बातों को न मानते हुए, वह फिर से तीसरी बार कोशिश करते हैं। यह बात साल 1984 की है जब वह तीसरी बार कॉलेज प्रवेश परीक्षा देते हैं, और उसे पास भी कर लेते हैं। साथ ही में इसबार उन्हें आश्चर्यजनक तौर पर गणित के विषय में 89 पॉइंट मिलते हैं।
लेकिन बावजुद इसके उन्हें उनके मन चाहे कॉलेज में दाखिला नही मिल पता है। जिस कारन उन्हें वही के खारब माने जाणे वाले हंगजाऊ नॉर्मल युनिव्हर्सिटी में B.A. के लिए दाखिला लेना पड़ता है। इसी दौरान वह उनके कॉलेज के विद्यार्थी संगठन के अध्यक्ष भी बनाते हैं। बाद में वह हंगजाऊ फेडरेशन ऑफ स्टूडेंट के अध्यक्ष बने, और उन्होंने अच्छी तरह से साल 1988 में अपनी B.A. की डिग्री प्राप्त की।
Initial career
अपने डिग्री पूरी करने के बाद वह अच्छी नौकरी करना चाहते थे। वह B.A. पासआउट होने के बावजूद भी उन्हें कोई भी अच्छी नौकरी नहीं देता है। जिसके बाद वह कई सामान्य नौकरियों के लिए निवेदन करते हैं। इसी दौरान एक बार वह KFC में भी निवेदन देने जाते हैं, लेकिन जैक को छोड़कर हर व्यक्ति जिसने नौकरी के लिए निवेदन किया था उन सभी को नौकरी दी जाती है। ऐसा ही वह 30 जगह पर नौकरी के लिए आवेदन करते हैं लेकिन उन्हें किसी भी जगह पर नौकरी नहीं मिलती है।
ऐसा जब भी किसी सामान्य व्यक्ति के साथ होता है, तब वह हार मान लेता है। लेकिन जैक नहीं कभी भी अपनी असफलताओं और हर को पर्सनली नहीं लिया, वह बताते हैं कि जब भी मुझे छोड़कर सभी लोगों को चुन लिया जाता था, तो तब में अपने आप को कोसने की बजाय, यह सोचा करता था कि कुछ तो अलग और खास बात है मुझ में, जिस कारण मेरे साथ यह सब हो रहा है।
यह कितनी कमल की बात है। अब तक के जीवन में आई इतनी असफलताओ के बावजूद भी वह हॉवर्ड बिजनेस स्कूल में दाखिला लेने के लिए 10 बार आवेदन करते हैं, लेकिन फिर भी उन्हें रिजेक्ट कर दिया जाता है। जिसके बाद क्योंकि उनकी अंग्रेजी बहुत ही ज्यादा अच्छी थी, जिस कारन उन्हें हंगजाऊ के एक कॉलेज में अंग्रेजी के शिक्षक के तौर पर नौकरी मिल जाती है।
व्यवसाय की शुरुआत
वह कुछ महीने अंग्रेजी के शिक्षक के तौर पर काम करते हैं। लेकिन इसी ही दौरान वह सोचते ही की इस नौकरी से वह अपने आर्थिक समस्याओं को कभी भी खत्म नहीं कर पाएंगे, और कभी भी बड़े व्यक्ति बन नहीं पाएंगे। जिस के बाद वह अपने अच्छे अंग्रेजी में अनुवाद करने के कला को समझते हुए, साल 1994 में हंगजाऊ हैबे ट्रांसलेशन एजेंसी की स्थापना करते हैं। जिससे कि वह चाइना के व्यापारियों को विदेशी ग्राहक और क्लाइंट ढूंढने में मदद किया करते थे, और उन व्यापारियों की तरफ से विदेशी ग्राहक हो और क्लाइंट से बात भी किया करते थे।
जल्द ही जैक को एक प्रतिष्ठित ट्रांसलेटर के तौर पर पहचान मिल जाती है। जिस कारण हंगजाऊ म्युनिसिपल कॉरपोरेशन साल 1995 में उन्हें किसी खास डील के संदर्भ में USA भेजती है। जहां पर पहली बार उन्हें इंटरनेट के बारे में पता चलता है, और उसे चलाने का मौका भी मिलता है। सबसे पहले वह कुछ चीजों के बारे में इंटरनेट पर सर्च करते हैं, जिसके बाद उन्हें इन चीजों से जुड़ी हुई जानकारी कई देशों से प्राप्त होती है। लेकिन उन्हें अपने देश चीन से कोई भी जानकारी नहीं मिलती, जिस कारण उन्हें थोड़ा बुरा लगता है। जिसके बाद उनका दोस्त उनके ट्रांसलेशन एजेंसी के लिए कुरूप नाम से बहुत ही सरल वेबसाइट बनाकर, लॉन्च कर देता है। जिसके बाद कुछ घंटे में वेबसाइट के माध्यम से जैक को अलग-अलग देशों से पांच ईमेल प्राप्त होते हैं। यह सब देखकर जैक इंटरनेट की क्षमता के बारे में समझ जाते हैं। इसके बाद चीन के अन्य उद्योगों को भी इंटरनेट से जोड़ने का विचार उन्हें आता है। चीन में लौट के बाद वह याबिंग के साथ मिलकर, जो की एक कॉलेज में कंप्यूटर इंस्ट्रक्टर का काम किया करते थे, चीन येलो पेजेस (China yellow pages) की स्थापना करते हैं। जिससे कि वह चाइनीस उद्योगों को वेबसाइट बनाकर इंटरनेट से जोड़ने की सेवाएं दिया करते थे। वह इस व्यवसाय के माध्यम से 3 साल में ही आजके 1.18 मिलियन डॉलर यानी कि भारतीय रुपए में 10 करोड़ रुपए जितनी कमाई कर लेते हैं।
आखिरकार उनका यह विचार सफल रहता है। लेकिन उन्हें इस व्यवसाय को बढ़ाने के लिए पैसे की आवश्यकता थी, और फंडिंग ना मिलने के कारण उन्हें यह व्यवसाय बंद करना पड़ता है।
यह बात साल 1998 की है जब उनके सूझबूझ को देखते हुए चीनी सरकार उन्हें चीन के आईटी कंपनियों के हेड के स्थान पर बिठा देता है। वह इस स्थान पर एक साल रहते हैं, और नई कंपनी स्थापना करने के उद्देश्य से चीनी सरकार को इस्तीफा देते हैं।
Story of Alibaba
यह बात साल 1999 की है इस्तीफा देने के बाद, वह अपने टीम के साथ अपने होमटाउन वापस आते हैं। जिसके बाद वह अपनी बीवी और 17 लोगों की टीम के साथ मिलकर, खुद के ही घर में चीनी निर्माता कंपनियों को सीधा बड़े ग्राहकों से जोड़ने वाली (b2b) वेबसाइट की स्थापना करते है। जिसका की नाम वह अलीबाबा रखते हैं। वह उनके इस विचार से बहुत ही तेजी के साथ आगे बढ़ने लगते हैं, और सॉफ्ट बैंक के निवेश के बाद तो उनकी हर रफ्तार और भी ज्यादा बढ़ जाती है। चार साल के अंदर चीन में अलीबाबा इबे (ebay) से भी बड़ी ई-कॉमर्स चैन बन जाती है।
विस्तार एक्सपेंशन
यह बात साल 2003 की है। जब इबे के साथ प्रतियोगिता के कारण। जैक अलीबाबा के माध्यम से ताओबाओ (Taobao) की स्थापना करते हैं। जिससे कि छोटे विक्रेताओं को बिक्री के लिए अच्छा मार्केट प्लेस मिल सके।
इसके बाद साल 2004 में वह अलीपे (alipay) की स्थापना करते हैं। जो कि पेपाल की तरह काम करता है। जिससे कि वह सुरक्षित ऑनलाइन पेमेंट करने की सेवाएं ग्राहकों को देते हैं, और साथी में वहां इन सब आर्थिक सेवाओं पर नियंत्रण रखने के लिए एंट ग्रुप (ant group) की भी स्थापना करते हैं। जो की आज के समय दुनिया की सबसे बड़ी फिनटेक कंपनी है।
उन्होंने इसी जगह पर ना रुकते हुए कोणीय नेटवर्क (cainio netwark) , Ele.me ओर koubai जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियों की नींव रखी। जिससे कि वह कई प्रकार की सेवाएं ग्राहकों को देते हैं। इन सब कारणों के वजह से ही वह इतने सफल व्यक्ति हो पाए, और सितंबर 2014 में जैक चीन के सबसे अमीर व्यक्ति बने। आप यह जानकर हैरान होजाएंगे कि साल 2017 में चीन में आई आर्थिक मंदी के, बावजूद वह एशिया के सबसे अमीर व्यक्ति बने।
यह बात साल 2017 की है। जब उन्होंने Gong Shou Dao नामक चीनी शॉर्ट फिल्म में दिखे, और उन्होंने यहां से ही अपने अभिनय की शुरुआत की।
चीनी सरकार के साथ दुश्मनी ?
यह बात 10 सितंबर 2018 की है, जब जैक ने अपने मैनेजिंग डायरेक्टर के पद से इस्तीफा देते हैं। इसके पीछे का कारण वह बताते हैं कि अब वह समाज सेवा, लोगों की मदद और पर्यावरण संरक्षण के ऊपर ध्यान देना चाहते हैं। कुछ रिपोर्टर्स बताती है कि, उन्हें यह निर्णय लेने के लिए चीनी सरकार ने उनके ऊपर दबाव दिया था। इसके बाद डैनियन झांग अलिबाबा के अगले मैनेजिंग डायरेक्टर बने।
इसके तुरंत दो साल बाद यानी की 1 अक्टूबर 2020 में उन्होंने कंपनी के बोर्ड से भी इस्तीफा दिया। जिसके तुरंत कुछ दिनों बाद ही वह दिखाना बंद हो गए। इस पर फाइनेंशियल टाईम्स ने अपने आर्टिकल में कहा कि, इन सब चीजों में चीनी सरकार का हाथ है, क्योंकि कुछ दिनों पहले वार्षिक पीपल बैंक ऑफ़ चाइना फाइनेंशियल मार्केट के मंच पर से जैक ने चीनी सरकार की रेगुलेशंस और बैंकों की बहुत ही ज्यादा आलोचना की थी, ओर उन्होंने चीनी बैंकों को मोहरों (pawn) की दुकान की मानसिकता के साथ काम करने वाला, बुजुर्गों का क्लब कहा था,
जिस कारण चीनी सरकार ने उन्हें गायब किया है। यह उसे समय का एक अंतरराष्ट्रीय मुद्दा बन गया था। इसके बाद नवंबर 2020 में चीनी सरकार द्वारा एंट ग्रुप के आईपीओ को रोक दिया जाता है। हो सकता है कि इस दौरान जैक के साथ क्या हुआ हमें कभी भी पता न चले।
यहबात जनवरी 2021 की है जब इन सब के बाद जैक को पहली बार पब्लिकली देखा गया। दरअसल वह ग्रामीण शिक्षक समूह के वार्षिक उत्सव पर ऑनलाइन संबोधित कर रहे थे।
नवंबर 2022 में उनकी जापान की टोक्यो में होने की जानकारी सामने आती है, और इसमें यह भी पता चलता है कि वह यहां पर 6 महीना से अपने परिवार के साथ सामान्य जीवन जी रहे हैं, और कभी-कभी विदेश यात्रा पर जाते हैं।
The great achievements
आज के समय जैक मां की उम्र 60 साल है, और फोर्ब्स के लिस्ट के अनुसार वह $2460 करोड डॉलर यानी कि भारतीय रुपए में 2 लाख 13 हजार करोड़ रुपए के मालिक है। जो कि उन्हें चीन के 10 में सबसे अमीर व्यक्ति बनते है।बावजूद इसके वह अपने परिवार के साथ टोक्यो में एक सामान्य जीवन जी रहे हैं। साथ ही टोक्यो यूनिवर्सिटी ने उन्हें विजिटिंग प्रोफेसर के तौर पर स्थान दिया है।
उन्हें उनके समाज सेवा के कार्यों को देखते हुए दुनिया के कई बड़े-बड़े पुरस्कारों से सम्मानित किया गया है।
Conclusion
जैक को शुरुआत से ही कुछ ज्यादा ही समस्याओ और असफलताओं का सामना करना पड़ा। अगर ऐसा किसी सामान्य व्यक्ति के साथ हो, तो वहां फिर से कभी भी उठ खड़ा ना हो पाए। वह अंग्रेजी सीखने के लिए बहुत ही ज्यादा जुनून थे जिसका फायदा उन्हें आगे चलकर हुआ। उनके कभी भी हार ना मानने के स्वभाव के कारण वह इतना सफल हो पाए। वह कहते हैं कि, किसी काम में असफलता मिलने पर हताश न हो असफलता तो आपको ज्यादा समझदारी से इस काम को करने का दोबारा मौका देती है। धन्यवाद
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