𝐔𝐝𝐚𝐲 𝐊𝐨𝐭𝐚𝐤
इस दुनिया में बहुत ही कम ऐसे लोग होते हैं, जिन्होंने अपने सूझबूझ और मेहनत से अपने आप को किसी विशेष मुकाम पर पहुंचने में सफल रहते हैं। इसमें से एक उदय कोटक भी है। जीने कि भारत के निजी क्षेत्र की तीसरी सबसे बड़ी बैंक कोटक महिंद्रा बैंक के संस्थापक, और भारत के सबसे अमीर बैंकर (बैंक चलने वाले व्यक्ति) के रूप में जाना जाता है। लेकिन शुरुआत से ऐसा नहीं रहा है, उन्हें अपने इतने बड़े साम्राज्य को बनाने के सफर में बहुत ही ज्यादा संघर्ष और समस्याओं का सामना करना पड़ा। इसके बाद ही वह इतने बड़े मुकाम पर पहुंच पाए। उनका यह सफर बहुत ही ज्यादा रोमांचक और प्रेरणादाई है, और इसी सफर के बारे में आप इस जीवनी में जान पाएंगे।
शुरुआती जीवन और पढ़ाई
उदय सुरेश कोटक जी का जन्म 15 मार्च 1959 को मुंबई के एक उच्च मध्यवर्गीय गुजराती परिवार में हुआ, उनका परिवार बहुत ही बड़ा था जिसके अंदर 60 सदस्य एक ही छत के नीचे आ रहा करते थे। जो की कपास के व्यापार से जुड़ा हुआ था।
उनका बचपन किसी आम बच्चे की तरह ही बीता। जिसमें कि उन्होंने अपने स्कूल की पढ़ाई हिंदी विद्या भवन से पूरी की, और आगे अपने बैचलर की पढ़ाई सिडनम कॉलेज (sydenhem collage) से पूरी की। इसके बाद उन्होंने एमबीए करने के लिए जमनालाल बजाज इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट में दाखिला लिया।
2014 में दिए अपने एक इंटरव्यू में वह बताते हैं, कि उन्हें अपनी शुरुआती दिनों में गणित ,अर्थशास्त्र और क्रिकेट खेलने में बहुत ही ज्यादा रुचि थी। जिस कारण वह रमाकांत आचरेकर जिन्होंने सचिन तेंदुलकर को क्रिकेट का प्रशिक्षण दिया था,उनसे क्रिकेट का प्रशिक्षण भी ले रहे थे। जिस दौरान वह कई बार अपने कॉलेज की टीम के लिए कप्तान भी बने।
यह बात तब की है, जब वह मुंबई में बारिश के दिनों में होने वाले कंगा क्रिकेट लीग में खेलने के लिए गए थे। जिस दौरान जब वह खेल रहे थे, तब बॉल बड़ी तेजी के साथ उनके सर पर आकर लगती है, और वह बहुत ही ज्यादा चोटिल हो जाते हैं। जब उन्हें अस्पताल में ले जाया जाता है तब डॉक्टर उनके ब्रेन ह्यामरेज होने के खतरे को देखते हुए तुरंत ऑपरेशन करते हैं। जिसके बाद एक साल तक उन्हें पूर्णराम (bed rest) करना पड़ता है। साथ में उन्हें अपने क्रिकेटर बनने के सपने को भी छोड़ना पड़ता है। इसके बाद वह अपनी बी की पढ़ाई फिर से शुरू करते हैं।
Initial career
MBA की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्हें कई बड़ी कंपनियों से नौकरी के लिए ऑफर आते हैं। जिस दौरान उनके पिता किसी और के लिए काम करने के बजाय अपने ही पारिवारिक व्यवसाय के लिए काम करने की सलाह देते हैं। उनकी यह सलाह मानते हुए वह अपने पारिवारिक व्यवसाय के लिए काम करने लगते हैं। वह शुरुआत से ही बड़े ही होनहार व्यक्ति थे, वह अपने कॉटन व्यापार के लिए बहुत ही ज्यादा मेहनत किया करते थे। बावजूद इसके उन्हें जब भी व्यवसाय में कुछ नया करने का मन करता था, या फिर कोई निर्णय लेना होता था, तब उन्हें अपने परिवार के 15 से 16 उन बड़े व्यक्तियों से अनुमति लेनी पड़ती थी जो पहले ही इस व्यवसाय में है। जो कि उन्हें बिल्कुल भी पसंद नहीं आ रहा था।
इसके बाद वह अपना खुद का अलग व्यवसाय बनाने का निर्णय लेते हैं। जिसके लिए वह अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से बात करने लगते हैं। यह बात साल 1980 की है, जब भारत का वित्तीय क्षेत्र बड़ा ही पारंपरिक था। जब उनका दोस्त उन्हें बिल डिस्काउंटिंग के बारे में बताता है, जिसमें की जब कंपनियों को भी पैसों की बहुत ज्यादा आवश्यकता होती थी। तब वह अपने ऐसे बिलों को बैंक को दिया करती थी जिनका भुगतान मिलने में देरी होती है। जिसके बाद बैंक बिल के बदले में 17% ब्याज लगाकर पैसा कंपनियों को वापस करती थी, और जब भी कोई व्यक्ति बैंक में पैसा जमा किया करता तो उन्हे 6% ब्याज दिया करती थी। जिसमें बैंकों को 11% का मुनाफा हुआ करता था। उन्हें इसमें बहुत ही अच्छा व्यवसाय का अवसर नजर आता है।
Kotak capital management finance limited.
पहली बार उन्हें पता चलता है कि टाटा ग्रुप की नेल्को (nelko) कंपनी को पैसे की आवश्यकता है। जिसे देखते हुए वह अपने दोस्त के मदद से नेल्को कंपनी के मैनेजर से मीटिंग करते हैं। जहां पर बाकी बैंक 17% ब्याज पर पैसे दे रही थी वही उदय सिर्फ 16% ब्याज पर पैसे देने का वादा करते हैं। जिस कारण नेल्को कंपनी के मैनेजर भी उनके साथ डील करने के लिए राजी हो जाते हैं। वह जैसे तैसे अपने डील तो कर लेते हैं। लेकिन उनके पास पैसा नहीं होता है, जिस कारण वह अपने पहचान के कई पैसे वाले लोगों के पास जाते हैं और अपनी पूरी बात समझते हैं, और साथ ही में 11% ब्याज के साथ पैसा लौटाने का वादा भी करते हैं। ऐसे ही वह उनसे 30 लख रुपए जमा करते हैं। जो कि आज के समय के तीन से पांच करोड रुपए होते हैं। और इन सब में वह 4% का मुनाफा कमाते हैं।
यह बात साल1985 की है। जब वह कोटक कैपिटल मैनेजमेंट फाइनेंस लिमिटेड की स्थापना करते हैं। उदय बड़ी ही होशियार व्यक्ति थे कंपनी के शुरुआत करते ही वह यह बात समझ जाते हैं, कि लोगों का विश्वास जीतने के लिए किसी बड़े की साथ आवश्यक है।
यह बात 1950 के जब उन्हें पता चलता है कि आनंद महिंद्रा अभी-अभी विदेश से अपनी पढ़ाई पूरी करके भारत लौटे हैं। इसके बाद वह अपनी मीटिंग आनंद महिंद्रा जी के साथ करते हैं। जिसमें कि वह भारतीय आर्थिक क्षेत्र पर चर्चा करते हैं। इस दौरान आनंद महिंद्रा उनकी बातों से बहुत ही ज्यादा प्रभावित होते हैं, और साथी में व्यवसाय करने के लिए उन्हें 1लाख रुपए भी देते हैं। जिसके बाद वह उनके कंपनी का नाम बदलकर कोटक महिंद्रा फाइनेंस LTD कर लेते हैं।
इसमें कोटक को यह फायदा होता है, कि महिंद्रा पहले से ही लोगों का विश्वसनीय ब्रांड रहा है, और इनका नाम अपने कंपनी के साथ जोड़कर उन्हें लोगों का विश्वास जीतने के लिए अलग से मेहनत करने की आवश्यकता नहीं पड़ती है, और वह लोगों का विश्वास जीत लेते हैं।
Car loan and expansions
यह बात 1990 की है। जब वह देखते हैं कि लोगों में मारुति की कर खरीदने के लिए होड़ बची हुई है। जिस दौरान लोग जब भी कार की बुकिंग किया करते थे तब उन्हें 6 महीने तक कार की डिलीवरी के लिए रुकना पड़ता था। जिसे खरीदने के लिए सिटी बैंक लोन दिया करती थी।
इनसब में पैसे कमाने का बहुत ही बढ़िया विचार उन्हें आता है। दरअसल वह पहले ही कर ब्रोकर को 10% पैसे देकर कई कार बुक किया करते थे, और जब भी कोई व्यक्ति उनके पास कार लोन लेने के लिए जाता था तब उनके पास एक न एक कार तो डिलीवर हुआ ही करती थी, जिस कारण उस व्यक्ति को 6 महीने तक कार के डिलीवरी के लिए रुकना नहीं पड़ता था, उसे तुरंत कर मिल जाया करती थी।
लोगों को यह बात जैसे ही पता चलती है, कि इनसे कार लोन लेने पर 6 महीने रुकना नहीं पड़ता है, कार तुरंत मिल जाती है, तब लोग उनसे लोन लेने लगते हैं। इतने ज्यादा लोग उनसे कर लोन लेने लगते हैं, कि एक समय तो ऐसा भी आता है जब वह एक बार में ही 5-10 हजार कारों की बुकिंग कर रहे थे। आखिरकार उनका यह विचार सफल रहता है, और वह कार लोन के धंधे में अच्छी कमाई करते हैं।
पर वह यहां पर रुकने वालों में से नहीं थे। वह और भी आगे बढ़ना चाहते थे जिसमें जरूरत थी पैसों की, जिस कारण वह साल 1991 में अपना IPO 45 रुपए शेअर के हिसाब से लॉन्च करते हैं। जो कि उनके शहर की वैल्यू जल्द ही बढ़कर 1400 से ₹1500 पर पहुंच जाती है। साथी में वह इसी ही साल कोटक इन्वेस्टमेंट बैंकिंग, ब्रोकरेज एण्ड डिस्ट्रीब्यूशन की भी शुरुआत करते हैं।
Partnership with Goldman sacks
इसी दौरान भारत सरकार विदेशी निवेशकों को भारतीय कंपनियों में निवेश करने के लिए अनुमति देते हैं। लेकिन इसमें बहुत बड़ी समस्या थी दरअसल ज्यादातर भारतीय कंपनियों को उन विदेशी निवेशकों के बारे में पता नहीं था ,जो कि उन्हें निवेश दे, और ना ही विदेशी निवेशकों को ऐसी भारतीय कंपनियों के बारे में नहीं पता था जिसको निवेश की आवश्यकता थी। एक बार फिर उन्हें इस समस्या में पैसा कमाने का अवसर नजर आता है।
इस समस्या के समाधान के लिए वह US की गोल्डमैन सैक्स कंपनी के साथ साझेदारी करते हैं, और साल 1996 में कोटक महिंद्रा प्राइमस LTD जिससे कि आज के समय में कोटक महिंद्र प्राइम लिमिटेड के नाम से जाना जाता है। उसकी स्थापना करते हैं। जिससे वह भारतीय कंपनियों को गोल्डमैन सैक्स की मदद से उस निवेशक दिलाने की सेवाएं शुरू करते हैं जिससे कि उन्हें बहुत ही ज्यादा फायदा होता है।
यह बात 1998 की है जब वह भारत का सबसे पहले गिल्ड फंड (Gild fund) लॉन्च करते हैं।
90 का दशक खत्म होते-होते वह सिक्योरिटी, इन्वेस्टमेंट एडवाइजरी, ऐसेट मैनेजमेंट और ऐसे ही कई छोटे बड़े क्षेत्र में अपने व्यवसाय का विस्तार करते हैं, और साथी में साल 2001 में वह यूके की एक कंपनी के साथ मिलकर म्युचुअल फंड भी शुरू करते हैं।
अब तक उनके लिए इन सब कदमों से हमें उनकी ऊंची सोच और बड़े सपनों के बारे में पता चलता है।
कोटक महिंद्रा बैंक
यह बात 2001 की है जब भारत सरकार निजी कंपनियों को बैंकिंग के क्षेत्र में आमंत्रित करती है। इसी दौरान उदय यह बात समझ जाते हैं, कि जितना वह उनकी विभिन्न क्षेत्रों में चल रही कंपनियों से नहीं कमा सकते उतना अकेले बैंकिंग के क्षेत्र में कमा सकते हैं।
आगे वह RBI को बैंकिंग के लाइसेंस के लिए निवेदन देते हैं, और आगे साल 2003 में आरबीआई उन्हें बैंकिंग का लाइसेंस देती है। जिससे कि वह भारत की सबसे पहले नॉन बैंकिंग वित्तीय कंपनी बन जाती है, जिसके बाद कोटक महिंद्रा फाइनेंस लिमिटेड का रूपांतरण कोटक महिंद्रा बैंक में कर दिया जाता है। इसके सीईओ खुद उदय कोटक बनते हैं, और इसी तरह कोटक महिंद्रा बैंक की शुरुआत होती है।
उनके कोटक महिंद्रा बैंक के द्वारा किए जाने वाले नए और अनोखे बैंकिंग के समाधानों के कारण उन्हें बहुत ही ज्यादा लोकप्रियता मिलते हैं, इसी कारण 2008 में आई आर्थिक मंदी में भी वह अपनी स्थिति को मजबूत बनाकर रखते हैं।
साल 2013 आते आते वह बड़े ही तेजी के साथ उत्तर भारत में 450 ब्रांच के साथ अपना विस्तार करने में सफल रहते हैं। लेकिन दक्षिण भारत में उनका विस्तार न के बराबर होता है। जिस कारण अब वह अपना विस्तार दक्षिण भारत में भी करना चाहते थे। लेकिन वह यह बात जल्दी समझ जाते हैं कि उन्हें अपने पारंपरिक तरीके से दक्षिण भारत में विस्तार करने में कई साल लग जाएंगे।
यह बात साल 2015 की है। जब वह दक्षिण भारत में बैंक के विस्तार के हेतु से अब तक का वह सबसे बड़ा कदम उठाते हैं। दरअसल वह आय एन जी वैश्य (ING Vaishya) जो कि दक्षिण भारत के सबसे बड़े बैंकों में से एक थी, उसे खरीद लेते हैं। जिससे कि जहां पर पहले उनके पास सिर्फ 641 ब्रांच हुआ करती थी अब उसकी संख्या दोगुनी होकर 1214 हो जाती है। साथी में पहले उनके पास 80 लाख से ज्यादा ग्राहक हुआ करते थे जिनकी संख्या बढ़कर एक करोड़ से भी ज्यादा हो जाती है, और दक्षिण भारत के बाजार में हिस्सेदारी 15% से बढ़कर 38% हो जाती है। उनके इस कदम के कारण उन्हें दक्षिण भारत में इतने विस्तार करने के लिए ज्यादा साल रूकना नहीं पड़ा। आज के समय उनकी बैंक भारत के निजी क्षेत्र की तीसरी सबसे बड़ी बैंक बन गई है। जिसके रिप्रेजेंटेटिव ऑफिस भारत के साथी दुनिया के कई बड़े-बड़े और विकसित देशों में देखने के लिए मिलते हैं, जिसमें से दुबई भी एक है। जिससे वह देश के कई अमीर परिवारों के पैसे को मैनेज करते हैं।
The great achievements
अब तक हमने उनके एक सामान्य युवा से इतने बड़े काम करने वाले महान व्यक्ति बनने तक के सफर के बारे में जाना। लेकिन हमें उनका सफर जितना आसान लगता है उतना आसान तो नहीं था। उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने के लिए बहुत ज्यादा संघर्ष करना पड़ा और कई समस्याओं का सामना भी करना पड़ा। जिसके फल स्वरुप आज वह इस मुकाम पर है।
मार्च 2024 में आई दुनिया की सबसे अमीर लोगों की सूची में वह #148 वे स्थान पर रहे।
साथही मे फोर्स के अक्टूबर 2024 के आए भारत के 100 सबसे अमीर उद्योगपतियों की सूची में वह #18 वे स्थान पर रहे। जिसमें कि उनकी संपत्ति 14.1 बिलियन डॉलर बताई गई जोकि भारतीय रुपए में 1.17 लाख करोड़ रुपये होती है।
आज के समय उदय कोटक अपनी पत्नी पल्लवी कोटक और अपने दो बच्चों के साथ मिलकर मुंबई में रह रहे हैं।
यह कहानी थी उदय कोटक जी की।
कंक्लुजन
उदय कोटक जिनके अब तक के जीवन से हमने जाना कि वह हमेशा अवसर के तलाश में रहा करते थे, और अवसर मिलते ही उसका फायदा कैसे करना है यह भी ढूंढ लेते थे, ऐसे ही अलग-अलग अवसरों से उन्होंने अपनी व्यवसाय का विभिन्न क्षेत्र में विस्तार किया, ओर यही बात उनसे हमने सीखने के लिए मिलते हैं। साथ ही में वह अपनी टीम के लिए एक प्रेरक लीडर के रूप में सामने आए वह अपने आप में ही एक प्रेरणादाई व्यक्तित्व है। धन्यवाद
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