कहानी दुनिया के सबसे मूल्यवान कंपनी के संस्थापक की, Jensen Huang biography Hindi


जेन्सेन हुआंग जीने की आज के समय दुनिया के सबसे मूल्यवान कंपनियों में से एक एनवीडीया (NVIDIA) के संस्थापक और अध्यक्ष के तौर पर जाना जाता है। यह एक टेक कंपन है, जिसके द्वारा वह कंप्यूटर में इस्तेमाल होने वाले हार्डवेयर और सॉफ्टवेयर के निर्माण साथ ही कई अन्य प्रकार की सेवाएं ग्राहकों को देते हैं। 2022 से जब AI  लोकप्रिय होने लगा, तब इस कंपनी में ऐतिहासिक बढ़त देखी गई, यह बढ़त इतनी थी कि आज तक इतने कम दिनों में इतनी बढ़त दुनिया की किसी भी बड़े से बड़े कंपनी की तक नहीं है, और उनके कंपनी का बकाया शेयर मूल्य कई देशों के इकोनामी से भी अधिक $3 ट्रिलियन हो गया है। जिस कारण आज के समय वह दुनिया के 9 वे सबसे अमीर व्यक्ति के स्थान पर जा पहुंचे हैं। लेकिन सवाल यह आता है कि, हुआंग जो की एक समय पर होटल में बर्तन धोने का काम किया करते थे, कैसे वह इतने बड़े कंपनी को खड़ा कर देते हैं?  इसी चीज के साथ आप उनके संपूर्ण जीवन के रोमांचक सफर के बारे में आगे इस जीवन में जान पाएगी।


शुरुआती जीवन 

हुआंग का जन्म 17 फरवरी 1963 को ताइवान के ताइपे शहर में होता है। उनके पिता हासिंग-ताई ऑइल रिफाइनरी में केमिकल इंजीनियर के तौर पर काम किया करते थे, जिस कारण कई बार उन्हें अपने रहने की जगह को छोड़कर नए शहरों में शिफ्ट होना पड़ता था। और उनकी मां तसाई-ह्यू एक शिक्षिका थी और हर दिन वह डिक्शनरी से कुछ अंग्रेजी के शब्द चुनकर हुआ हुआंग को सिखाया करती थी। वह अपने दो भाइयों में सबसे छोटे थे। जब वह 5 साल के होते हैं तब वह अपने पिता के रिफाइनरी के कार्य में मदद करने के हेतु से; अपने परिवार के साथ थाईलैंड रहने चले जाते हैं और वहां  पर 4 साल रहते हैं। जिस दौरान वह बैंकॉक रूमरीड इंटरनेशनल स्कूल में पढ़ा करते थे। 

यह बात साल 1960 के पहले की है। जब उनके पिता एक एयर कंडीशनिंग कंपनी के तहत प्रशिक्षण लेने के लिए US के न्यूयॉर्क शहर यात्रा के लिए जाते हैं। यहां से लौट के बाद वह अपने बच्चों को US भेजने का संकल्प ले लेते हैं। यह बात साल 1973 की है। जब वह हुआंग को अपने बड़े बेटे के साथ सिर्फ 9 साल की उम्र में टोकोमा, वाशिंगटन में एक चाचा के पास रहने के लिए भेज देते हैं। जिससे कि वह थाईलैंड में चल रही व्यापक सामाजिक शांति से बच सके।

उनके चाचा चाचा कुछ दिनों पहले ही वाशिंगटन आकर बसे थे, जिस कारण गलती से वह हुआंग और उसके भाई का दाखिला, ओनिडा बापटिस्ट इंस्टिट्यूट में कर देते हैं। जो कि असल में परेशान युवा के लिए एक धार्मिक सुधारना अकादमी थी। बावजूद उनके माता-पिता गलती से इसे एक प्रतिष्ठित बोर्डिंग स्कूल समझ लेते हैं, और इसका खर्चा उठाने के लिए वह लगभग अपनी सारी संपत्ति को तक बेच देते हैं।

जब हुआंग 10 साल के होते हैं, तब वह अपने भाई के साथ ओनेड़ा के छात्रावास में रहा करते थे। यहां पर हर छात्र से हर दिन काम करने की उम्मीद की जाती थी। जिस कारण उनके बड़े भाई को पासही के तंबाकू के खेत में काम करने के लिए नियुक्त किया जाता है। क्योंकि हुआंग पर छोटे थे और वहां पर कम उम्र के बच्चों को कक्षा में पढ़ाया नहीं जाता था, जिस कारण उन्हें अलग से वहां के ही ओनिडा एलिमेंट्री स्कूल में पढ़ना पड़ता है। वहां पर उनके लंबे बाल, छोटा कद, भारी उच्चारण वाली अंग्रेजी को देखते हुए और एक एशियाई होने के कारण, अक्सर उन्हें धमकाया और मारा जाता था और ओनिडा में हर दिन उन्हें शौचालय को तक साफ करना पड़ता था।

 बावजूद इन सबके उन्होंने टेबल टेनिस और अन्य खेल सीखने पर अपना लक्ष्य केंद्रित किया, जिस कारण 14 साल की उम्र में वह सपोर्ट इलस्ट्रेट्स में दिखाई दिए। उनका रूममेट 17 वर्षीय एक ऐसा युवा था, जिसका की शरीर टैटू और चाकू के घाव से लटपट था और वह अनपढ़ था। हुआंग अक्सर होने वाली मारपीट से बचने के लिए, उसे पढ़ने के बदले में उससे बेंच प्रेस और अन्य चीजों के बारे में सीखते हैं।

हुआंग के US आने के 2 साल बाद उनके माता-पिता भी उस के ओरेगॉन राज्य के बिवरण  में आकर बस जाते हैं। इसके बाद उनका भाई ओनिडा के अपने स्कूल को छोड़कर, उनके पास रहने के लिए चला जाता है। 


करियर की शुरुआत 

15 साल की उम्र में, स्थानिक डेनिस रेस्टोरेंट में वेटर और डिशवॉशर के तौर पर ने अपने जीवन का पहला काम मिलता है। जिस दौरान वह ओरेगॉन राज्य के अलोहा शहर के अलोहा हाईस्कूल में दाखिला लेते हैं। जहां पर उनके शैक्षणिक प्रदर्शन बहुत ही ज्यादा उत्कृष्ट रहता है और वह 2 साल को छोड़ते हुए सिर्फ 16 साल के उम्र में ही ग्रेजुएट हो जाते हैं। 

हाई स्कूल के बाद वह, ओरेगॉन स्टेट यूनिवर्सिटी के राज्य में सबसे कम ट्यूशन फी होने के कारण वह यहां पर इलेक्ट्रिकल इंजीनियर इन और कंप्यूटर साइंस की पढ़ाई करते हैं। जहां पर उन्हें एहसास होता है, कि क्योंकि वहां कक्षा में सबसे कम उम्र के थे, जिस कारण वह अपनी कक्षा के विद्यार्थियों में किसी बच्चे की तरह नजर आते हैं। और यहां पर पढ़ाई के दौरान उनकी मुलाकात अपनी होने वाली पत्नी लोरी मिल्स से होती है, जो कि उनके लैब पार्टनर हुआ करती थी। जिसके कुछ साल बाद वह साथ में शादी कर लेते हैं। यह बात साल 1984 की है जब वह 20 साल की उम्र में बैचलर ऑफ साइंस की डिग्री प्राप्त कर लेते हैं। 

इसके बाद वह सिलिकॉन वैली में माइक्रोचिप डिजाइनर के तौर पर काम करने लग जाते हैं। बावजूद इसके वह अपनी पढ़ाई को जारी रखते हैं, दरअसल वह काम के बाद स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में नाइट क्लासेस में पढ़ाई किया करते थे। 

जिस दौरान टैक्सास इंस्ट्रूमेंट्स, AMD (एडवांस्ड माइक्रोचिप डिवाइसेज) और LSI कॉरपोरेशन इन जगहों पर स्थान प्राप्त करने के हेतु से वह यहां पर इंटरव्यू देते हैं, और AMD में उनकी पहचान होने के कारण उन्हें यहां पर चुन लिया जाता है। जहां पर उन्हें माइक्रो प्रोसेसर डिजाइनर के तौर पर स्थान मिल जाता है। 

AMD में नौकरी करने के दौरान उन्हें LSI कॉर्पोरेशन में चल रही नई चिप प्रक्रियाओं के बारे में पता चलता है, जिस कारण वह LSI कॉरपोरेशन में टेक्निकल ऑफीसर की भूमिका निभाना चाहते थे। इसी वजह से AMD में चल रही अपनी नौकरी को छोड़ देते हैं, और सन माइक्रोसिस्टम्स नामक स्टार्टअप कंपनी के अंतर्गत काम करने लग जाते हैं, जिसका की कॉन्ट्रैक्ट LSI कॉरपोरेशन से होता है। 

अब यहां से उनकी जिंदगी नया मोड़ लेने वाली थी। यहां पर उनकी मुलाकात इंजीनियर क्रिस मालाचोस्की और क्रिटिक्स प्रीम से होती है। यह तीनों मिलकर नहीं ग्राफिक एस्सालरेटर कार्ड के निर्माण के काम पर लग जाते हैं, जिस दौरान इन तीनों में अच्छी मित्रता हो जाती है।  वह कई साल इसके लिए कड़ी मेहनत करते हैं, यह बात साल 1989 की है। जब वह अपने एस्सालरेटर को अंतिम रूप देते हैं और वह इसे "GX ग्राफिक इंजीन" नाम देते हैं। ग्राफिक इंजिन को बहुत ही ज्यादा आर्थिक सफलता मिलती है, ग्राफिक इंजन के बिक्री के कारण जहां पर सन माइक्रो सिस्टम की कमाई साल 1997 में $262 मिलियन डॉलर थी, वही साल $1990 आते-आते 656 मिलियन डॉलर तक पहुंच जाती है। उनके इस सफलता को देखते हुए हुआंग का प्रमोशन LSI कोरवेयर के डायरेक्टर के तौर पर कर दिया जाता है। 


एनवीडीया (NVIDIA) 

यह बात साल 1990 की है, जब सनमाइक्रो सिस्टम्स का व्यवसाय काम होता जा रहा था, और वह अपने दोनों साथियों के साथ खुद से पीसी गेम्स के लिए ग्राफिक चिप के निर्माण के   हेतु से, अपने नौकरी से इस्तीफा दे देते हैं। और यहां से ही एनवीडीया (NVIDIA) कंपनी के कहानी की शुरुआत होती है। शुरुआत में वह अपने कंपनी का नाम एनविजन रखते हैं, जिसके बाद हुआंग कंपनी का नाम एनवीडीया रखने का सुझाव देते हैं। यह बात साल 1992 की है जब हुआंग अक्सर अपने दोनों साथियों के साथ रोड के बाजू में स्थित डेनिस रेस्टोरेंट में मिला करते थे, वह यहां पर अपने व्यवसाय के बारे में चर्चा किया करते और आगे की रणनीति बनाया करते थे। आपको अगर याद होगा तो यह वही रेस्टोरेंट की चेन थी जहां पर हुआंग एक वक्त पर बर्तन साफ करने का काम किया करते थे। 

औपचारिक रूप से अपने कंपनी को शुरू करने के हेतु से, हुआंग जेम्स गिधर नमक वकील से मिलते हैं। यह बात 5 अप्रैल 1993 की है, जब हुआंग इनवीडिया के शुरू होने के दस्तावेज पर खुद से हस्ताक्षर करते हैं। 

LSI से नौकरी छोड़ने के बावजूद, वह इनके साथ अपना रिश्ता अच्छे से टिकाकर रखते हैं। जिस कारण LSI's के सीईओ विफ्रेड कोरिमेन हुआंग की मुलाकात डॉन वैलेंटाइन से करवाते हैं, जो की सिकोया कैपिटल के लीडर थे। जिससे कि उन्हें निवेश मिल सके, आखिरकार वैलेंटाइन एनवीडीया में निवेश करने के लिए राजी हो जाते हैं। हुआंग अपने साथियों में सबसे छोटे होने के बावजूद उन्हें कंपनी के पहले ही दिन से ही CEO के रूप में चुन लिया जाता है। वह ग्राफिक चीप के विकास की दिशा में काम शुरू कर देते हैं, और साल 1995 में अपना पहला प्रोडक्ट "ग्राफिक एक्सीलेटर NV-1" को लॉन्च करते हैं। लेकिन NV-1 के मुकाबले बाकी कंपनियों के ग्राफिक एक्सिलरेटर और भी अच्छे से काम किया करते थे, और उनकी कीमत भी NV1 से बहुत ही ज्यादा कम हुआ करती थी। जिस कारण NV1 बुरी तरह से असफल रहता है। और इसके साथ ही वैलेंटाइन के निवेश किए गए सारे पैसे भी बर्बाद हो जाते हैं। 


समस्याएं और समाधान 

NV-1 की असफलता और वैलेंटाइन के सारे पैसे बर्बाद होने के कारण, अब उनके पास नया उत्पाद बनाने के लिए पैसा नहीं होता है, ओर अब कोई भी निवेशक उन्हें निवेश भी नहीं दे रहा था। इसी दौरान सेगा (SEGA) कंपनी अपने गेमिंग प्रोजेक्ट के लिए ग्राफिक हार्डवेयर बनाने का कॉन्ट्रैक्ट एनवीडीया को देती है, जिसका की नाम वह "NV-2" रखते हैं। लेकिन माइक्रोसॉफ्ट के नए बदलाव के कारण, उन्हें यह बात जल्द ही पता चल जाते हैं कि उनका नया ग्राफिक हार्डवेयर माइक्रोसॉफ्ट के कंप्यूटर में काम नहीं कर पाएगा। जो कि अब उनकी की पूरी मेहनत पर पानी फेरने वाला था। जिस कारण वह दिलपर पत्थर रखते हुए सेगा कंपनी को ग्राफिक हार्डवेयर चिप निर्माण करने के लिए मन कर देते हैं। बावजूद इसके सेगा कंपनी के सीईओ उन्हें $5 मिलियन डॉलर देते हैं, क्योंकि इस दौरान यह कंपनी बहुत ही ज्यादा पैसों की कमी की समस्या से जूझ रही थी। पैसा मिलने के कारण अब वह नए चिप के निर्माण पर काम कर सकते थे, इसी कारण एनवीडिया कंपनी की डूबती नया को बचाने का पूरा श्रेय सेगा कंपनी को दिया जाता है। 


यह बात साल 1997 की है। जब वह 6 महीने तक नए ग्राफिक चिप पर काम करते हैं। जिसका के नाम वह "RIVA 128" रखते हैं। यह 3D ग्राफिक्स के साथ ही 2D ग्राफिक्स को भी सपोर्ट करता था, जैसा कि उसे समय का कोई भी GPU कर नहीं सकता था। जिस कारण यह उस समय के लिए एक क्रांतिकारी आविष्कार होता है, और अपने पहले की गई गलती को समझते हुए, इस बार वह अपने उत्पाद की कीमत कम रखते हैं, जिस कारण उनका यह उत्पाद बहुत ही ज्यादा लोकप्रिय हो जाता है, वह सिर्फ एक महीने में 10 लाख रीवा 128 चिप को बेच देते हैं। जो कि उनके लिए बहुत ही बड़ी सफलता होती है, जिसकारण पहली बार बहुत ही ज्यादा मुनाफा कमाते हैं।

यहबात 90 की दशक की है। जब कंप्यूटर हार्डवेयर के निर्माण के क्षेत्र में 70 से भी अधिक कंपनियां होने के कारण, यहां पर बहुत ही ज्यादा प्रतियोगिता हुआ करती थी। लेकिन जल्दही इस मुश्किल क्षेत्र में एक-एक करके सभी कंपनियां बर्बाद होना शुरू जाते हैं। लेकिन एनवीडीया जैसे-तैसे अपने अस्तित्व को बचाने में सफल रहती है, और उस समय सिर्फ यही एक कंपनी होती है जो मुनाफा कमा रही थी। 

कुछ साल बाद वह देखते हैं कि अमेरिका में उत्पादों को निर्माण करने का खर्चा ज्यादा होने के कारण, उनका मुनाफा घटता चल जा रहा हे, इसके समाधान के तौर पर वह अपना डिजाइन TSMC (ताइवान सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग कंपनी) को देखकर उनके द्वारा चिप का निर्माण करते हैं,  जिस कारण उनका मुनाफा फिर से बढ़ जाता है।

यह बात साल 1999 की है। जब वह "G FORCE 256" नमक ग्राफिक कार्ड को लॉन्च करते हैं, जिस के पहली बार जीपीयू कहां गया था, जो कि कंप्यूटर में कठिन टास्क संभालने के सतही गेमिंग एक्सपीरियंस को भी बढ़ा देता था। इन सब चीजों को देखते हुए साल 2000 में जब माइक्रोसॉफ्ट अपना पहला एक्सबॉक्स लॉन्च करने वाला था, तब इसके GPU के निर्माण का काम एनवीडीया को मिल जाता है।

यह बात साल 2000 की है। जब पहली बार उनका मुनाफा एक बिलियन डॉलर तक पहुंच जाता है। जो कि अपने आप में बहुत ही बड़ी बात है।


एनवीडीया का विस्तार 

अब तक उन्होंने अच्छे लोकप्रियता हासिल कर ली थी। जिस कारण एप्पल कंपनी अपने नए "POWER MAC G4" के लिए GPU बनाने का काम एनवीडीया को देती है। 

आगे वह अपने कई उत्पादों को बाजार में लाते हैं। ऐसे ही वह साल 2006 में CPU और GPU के साथ में काम न करने की समस्या को देखते हुए, अपने नए उत्पाद Cuba को बाजार में उतरते हैं। जिसे की GPU के काम करने के तरीके को तक बदल दिया था, दरअसल यह चीज एक ही काम को CPU से GPU में शिफ्ट करने की सुविधा देती थी। जिससे कि कंप्यूटर CPU और GPU को मिलकर काम कर पाए। जिस कारण उनका यह उत्पाद बहुत ही ज्यादा सफल रहता है, और आजभी इसका इस्तेमाल क्रिप्टो मीनिंग, DEEP LEARNING और AI किया जाता है।

साल 2008 में आई आर्थिक मंदी के कारण, उनके लिए यह साल बहुत ही मुश्किलों से भरा हुआ रहता है, और उनके शेअर की कीमतें बहुत ही ज्यादा गिर जाती है। चीज तो तब बिगड़ते हैं जब उनके द्वारा निर्मित दोषपूर्ण (डिफेक्टिव) GPU का इस्तेमाल एप्पल, DELL और HP के उत्पादों में किया जाता है, जिस कारण लोगों को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिस कारण इन कंपनी का नाम खराब हो रहा था और इस दौरान ऐसे ही उन्हें कई बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन जैसे तैसे वह इन समस्याओं को छुड़ाते हैं, जिस दौरान उनका 200 करोड़ का नुकसान हो जाता है।

इन्हें सब समस्याओं के बावजूद उन्होंने GPU निर्माण और गेमिंग से आगे बढ़कर, अपने व्यवसाय का विस्तार डाटा सेंटर क्लाउंड कंप्यूटरिंग और AI मॉडल ट्रेनिंग तक कर दिया था। 

यह बात साल 2018 की है। जब क्रिप्टो मार्केट बुरी तरह से क्रश हो जाता है, जिस कारण अब उनके सीपीयू की बिक्री बहुत ही ज्यादा काम हो जाती है। लेकिन इसके तुरंत कुछ साल बाद कोविड-19 के कारण पूरी दुनिया में लॉकडाउन लग जाता है, जिस कारण दुनिया भर में चल रही थी बड़ी-बड़ी कंपनियों तक बर्बाद हो जाती है। लेकिन दूसरी तरफ इनवीडिया की सप्लाई चैन रुक जाने के कारण, उनके सीपीयू की मांग तीन गुना तक बढ़ जाती है। जिस कारण वह अपने आप को बचाने में सफल रहते हैं।


द फास्टेस्ट फॉरएवर 

इन सब के दौरान ओपन AI, फेसबुक जैसी बड़ी-बड़ी कंपनियां अपने AI मॉडल को ट्रेन करने के लिए एनवीडीया के सीपीयू और डाटा सेंटर का इस्तेमाल करती है। यह बात साल 2022 की है जब ओपन आए कंपनी लोगों के लिए चैट GPT को लॉन्च कर देती है। इसके बाद AI बड़े ही तेजी के साथ लोकप्रिय होने लगता है, जिससे कि दुनिया भर में AI BOOM के नाम से जाना जाता है। जिस कारण जहां पर 2021 तक एनवीडीया की ज्यादातर कमाई गेमिंग के क्षेत्र से आई थी, वह बदलकर 2022 में उनकी ज्यादातर कमाई डाटा सेंटर से आने लगती है 

इन सब के दौरान एनवीडीया कंपनी में बहुत ही तेज बढ़त देखी गई। जितनी तेजी से आज तक कोई भी कंपनी की बढ़ नहीं पाई है। एनवीडीया के बकाया शेयर मूल्य सिर्फ 180 दिनों में एक ट्रिलियन से दो ट्रिलियन तक पहुंच जाता हैं। 

और जहां पर एप्पल कंपनी को $2 ट्रिलियन से $3 ट्रिलियन तक पहुंचाने के लिए 2 साल लग गए थे, वहीं  एनवीडीया दुनिया में सबसे तेज सिर्फ 96 दिनों में $2ट्रिलियन $3 ट्रिलियन तक पहुंच कर इतिहास रच दिया है। 

आज की अगर बात करें तो हुआंग की उम्र 62 साल है, और आज भी वह एनवीडीया के सीईओ के स्थान पर कार्य रहते हैं। एनवीडीया की ऐतिहासिक बढ़त के कारण हुआंग के संपत्ति में बहुत ही ज्यादा वृद्धि होकर वह $9374 करोड  हो गई है। जिस कारण आज वह दुनिया के 9 वे सबसे अमीर व्यक्ति के स्थान पर जा पहुंचे हैं। और बड़ी ही शानदार जीवन जी रहे हैं। यह दिलचस्प कहानी थी जेन्संग हुआंग की। 


कंक्लुजन 

जेन्सेन हुआंग के पिता जी के नौकरी के कारण अक्सर उन्हें अपनी रहने की जगह बदलनी पड़ती थी। जिस कारण उनका बचपन ताइवान थाईलैंड और US में बिकता है, अमेरिका के स्कूल में अक्सर उन्हें मार और धमकाया जाता था, जिस दौरान एक समय उन्हें रेस्टोरेंट में बर्तन साफ करने का काम तक करना पड़ता है। लेकिन मेहनत से कभी भी समझौता न करते हुए उन्होंने दुनिया की सबसे मूल्यवान कंपनी एनवीडीया की नींव राखी, जिस कारण आज वह सफलता की उसे शिखर पर जा पहुंचे हैं, जहां पर बहुत ही कम लोग पहुंच पाते हैं।






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