"नितिन कामथ की प्रेरणादायक कहानी – Zerodha को खड़ा करने वाले युवा अरबपति की सक्सेस जर्नी"

 


इस दुनिया में बहुत से ऐसे लोग होते हैं, जो जीवन भर मेहनत करने के बावजूद अरबपति नहीं बन पाते हैं। लेकिन दूसरी तरफ भारत में एक ऐसे भी युवा है जिन्होंने सिर्फ 37 साल की उम्र में खुदके दम पर दुनिया के सबसे युवा अरबपति व्यक्तियों में से एक बनकर दिखाया है। 

यह कहानी है निखिल कामथ की जिन्होंने 10वी तक ही पढ़ाई करने बावजूद, अपने बड़े भाई के साथ मिलकर, भारत की सबसे पहली डिस्काउंट ब्रोकरेज फॉर्म "जीरोधा ब्रोकिंग लिमिटेड" स्थापना की थी। जिससे कि लोग अपने मोबाइल या फिर कंप्यूटर से ट्रेडिंग कर सके, और वह ग्राहक को आर्थिक सेवाएं दे सके। उन्हें अपने कंपनी की शुरुआती दिनों में कई बड़ी-बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है, लेकिन वह रुकते नहीं है और यह उनके मेहनत और सूझबूझ का ही नतीजा है कि, जीरोधा आज के समय भारत की दूसरी सबसे बड़ी ब्रोकरेज कंपनी है। जिस पर की हर दिन 3 करोड़ से भी अधिक ट्रेड्स होते हैं। जो कि अपने आप में बहुत ही बड़ी बात है, और इसी से वह अरबपति बन पाए हैं। उनका एक स्कूल ड्रॉप आउट विद्यार्थी से भारत के सबसे युवा अरबपति बनने तक का सफर, अपने आप ही में बहुत ही ज्यादा दिलचस्प और मजेदार है। जिसे जानने के लिए आगे पढ़िए......


शुरुआती जीवन:

निखिल कामथ का जन्म 5 सितंबर 1968 में कर्नाटक राज्य के शिमोगा में हुआ था। उनके पिता रघुराम कामथ केनरा बैंक में एग्जीक्यूटिव के तौर पर नौकरी थे, और उनकी माता रेवती कामथ वीणा बजने में निपुण थी। 

अपने पिता के नौकरी के कारण अक्सर उन्हें अपने परिवार के साथ रहने की जगह को बदलते हुए अलग-अलग शहरों में शिफ्ट होना पड़ता था। एक वक्त पर उनके पिता अपने बच्चों की पढ़ाई और भविष्य के बारे में सोचते हुए किसी एकही जगह पर स्थाई होने का निर्णय लेते हैं,और इस तरह वह जब 9 साल के थे, तब से वह बेंगलुरु में रहना शुरू कर देते हैं।

कामथ का शुरू से ही पढ़ाई में कुछ खास मन नहीं लगता था, और उन्हें गणित के विषय को छोड़ बाकी किसी भी विषय में कुछ खास दिलचस्पी नहीं थी और अक्सर उनका मन व्यवसाय के विचारों में ही लगा रहता था। क्योंकि उन्होंने पैसा कमाने को ही अपना लक्ष्य बना लिया था। वह बचपन से ही चेस के बहुत ही अद्भुत खिलाड़ी थे, जिस कारण उन्होंने अंडर-16 इंटरनेशनल चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व तक किया था, लेकिन आगे वह समझ जाते हैं कि स्पोर्ट के क्षेत्र में ज्यादा कमाई ना होने के कारण, वह जल्द ही इस पर से अपना ध्यान हटा देते हैं। 


जब वह नौवीं कक्षा में थे, तब वह अपने दोस्त तेजपाल के साथ पुराने मोबाइल को फिर से बेचने का व्यवसाय शुरू करते हैं। लेकिन उस वक्त उनके मां को लगने लगता है कि उनके इस व्यवसाय के कारण वह पढ़ाई से दूर हो रहे हैं। जिस कारण उनके द्वारा इकट्ठा किए गए सभी मोबाइल को उनकी मां टॉयलेट में फ्लैश कर देती है। लेकिन इससे उनके पढ़ाई में कुछ खास बदलाव नहीं आता है।

स्कूल में उनका प्रदर्शन बहुत ही बेकार होने के कारण, उनके स्कूल वालों को लगने लगता है कि वह दसवीं कक्षा में फेल हो जाएंगे, जिस कारण उनके शिक्षक चाहते थे कि कामथ दसवीं की परीक्षा नहीं दे। आगे वह कामथ के माता-पिता को स्कूल में बुलाते हैं, और उनको अपनी सभी बातें समझाते हैं। उस वक्त उनके माता-पिता उन पर डटने के बजाय, उन्हें कहते हैं कि "भविष्य में कोई भी ऐसा काम मत करना, जिससे कि हमें अपना सर शर्म से झुकना पड़े" दरअसल उन्हें अपने लड़के के काबिलियत पर अंधा विश्वास होता है। इस तरह कामथ सिर्फ़ दसवीं कक्षा में ही पढ़ाई से दूर हो जाते हैं। 


करिअर की शुरुआत: 

पढ़ाई से अलग हो जाने के तुरंत बाद वह तेजी से उन चीजों की जानकारी जुटाना में लग जाते हैं, जिससे कि वह पैसा कमा सके। इसी दौरान उन्हें कॉल सेंटर मे नौकरी के बारे में पता चलता है, लेकिन इस नौकरी के लिए उनका 18 साल का होना आवश्यक था, और उनकी उम्र 16 साल थी। आगे वह इस नौकरी के लिए 18 साल उम्र वाला अपना फर्जी जन्म प्रमाण पत्र बनवाते हैं, जिससे कि बड़े आसानी से उन्हें यह नौकरी मिल जाते हैं। वह दोपहर 4 से रात 1 बजे तक नौकरी किया करते थे, जिससे कि उन्हें महीने की 8000 तनख्वा मिला करती थी। यह तनख्वा उस समय उनके लिए ठीक-ठाक थी, जिससे कि वह अपने माता-पिता से अलग होकर एक अलग जगह अपने गर्लफ्रेंड के साथ रहना शुरू कर देते हैं।

अपनी बड़ी सोच के कारण वह अपनी नौकरी से ज्यादा नहीं होते हैं। जिस कारण वह शेयर मार्केट की जानकारी जुटाना शुरू करते हैं, और अपनी नौकरी से खाली बचाने समय पर वह ट्रेडिंग किया करते थे, जिससे वह धीरे-धीरे मार्केट को समझने लगे थे, और वह 18 साल के होने तक शेअर का व्यापार अच्छे से करने लगते है।

उनके पिता का उनके काबिलियत पर अंधा विश्वास हुआ करता था, जिस कारण वह अपने जीवन में की गई कमाई बहुत बड़ी का हिस्सा, निखिल को मैनेज ओर निवेश करने के लिए दे देते हैं। स्टॉक मार्केट में दूसरों के पैसे या पोर्टफोलियो मैनेज करना कुछ इस तरह होता है कि, पैसा मैनेज करने वाला व्यक्ति दूसरों के पैसे का निवेश करके उस पैसे को बढ़ाता हैं, जिसमें से थोड़ा सा हिस्सा पैसा मैनेज करने वाला खुद अपने लिए रख लेता है। और यही निखिल अपने पिता के पैसे के साथ कर रहे थे।


आगे चलकर वह अपने कॉल सेंटर के मैनेजर को अपना पैसा मैनेज करने के लिए मना लेते हैं। अब वह अपना ज्यादातर समय ट्रेडिंग और स्टॉक मार्केट को दे रहे थे, जिससे कि वह धीरे-धीरे कॉल सेंटर में जाना बंद कर देते हैं। बावजूद इसके उनकी कॉल सेंटर में हाजिरी (presenty) लगा दी जाती थी, क्योंकि अब वह अपने कॉल सेंटर में काम कर रहे, पूरे टीम का पैसा मैनेज करने लगे थे। धीरे-धीरे वह अपने दोस्तों और रिश्तेदारों के साथ कई सारे लोगों का पैसा मैनेज करने लग जाते हैं। जिसमें कि उनका साथ उनके बड़े भाई नितिन कामथ देते हैं। दरअसल बड़े भाई नितिन ने निखिल से भी पहले इन्वेस्टमेंट और ट्रेडिंग करना शुरू कर दिया था, जिससे कि वह शेयर मार्केट के खेल में माहिर हो गए थे। यह दोनों अपने काबिलियत के कारण अच्छी कमाई कर रहे थे।


Kamath & associate 

आगे चलकर निखिल अपनी कॉल सेंटर की नौकरी छोड़कर अपना पूरा समय स्टॉक मार्केट और ट्रेडिंग को देने लगते हैं। इसी दौरान एक अमीर अमेरिकी व्यक्ति की नजर इन्वेस्टमेंट फर्म पर पड़ती है, और वह उनसे बहुत ही ज्यादा प्रभावित होता है। जिस कारण तुरंत वह निखिल को 25 लाख का चेक देते हुए अपना फंड मैनेज करने के लिए दे देते हैं। 

उनके जीवन में आए इस वाक्येने इन दोनों भाइयों को खुद का कुछ बड़ा शुरू करने के लिए प्रेरित किया। जिस कारण साल 2004 में वह अपने पोर्टफोलियो मैनेज करने के व्यवसाय को ऊंचे स्तर पर ले जाने के लिए "कामथ & एसोसिएटस" की स्थापना करते हैं। जिसके द्वारा वह और भी बड़े स्तर पर पोर्टफोलियो मैनेज करना शुरू कर देते हैं। 

लेकिन यह दोनों भाई पोर्टफोलियो मैनेजमेंट के इस व्यवसाय से ज्यादा खुश नहीं होते हैं, और वह यह भी समझ जाते हैं कि, किस तरह ब्रोकर स्टॉक के खरीदी खरीदी या बिक्री के फि के नाम पर ट्रेंडर और निवेशकों को लूट रहे हैं। जो एक समस्या थी, चीजों को और अच्छे से समझने के लिए यह दोनों भाई सब-ब्रोकर के तौर पर काम करना शुरू कर देते।

जिस दौरान वह पाते हैं की, मार्केट में कोई भी ऐसा प्लेटफॉर्म नहीं है, जिसमें आसानी से अकाउंट स्विच करके स्टॉक को खरीदा ओर बेचा जा सके।


जीरोधा (zerodha)

मार्केट में सालों के अनुभव ने उनको बहुत कुछ सिखाया था। जिसमें कि उन्होंने कई समस्याएं देखी थी, इन समस्याओं को अवसर के तरह देखते हुए, वह इन समस्याओं को खत्म करने वाला, लेटेस्ट टेक्नोलॉजी के साथ ऐसा प्लेटफार्म बनाना चाहते थे जो की इस्तेमाल करने में बहुत ही आसन हो। 

लेकिन वह पाते है कि ऐसे प्लेटफार्म को बनाने में उनको करोड़ों रुपए का खर्चा लगेगा, जितना कि पैसा उनके पास होता नहीं है। 

आगे 2008 में दुनिया भर के बाजारों में आए गिरावट ने उन्हें बहुत कुछ सिखा दिया था। जिसमें की लोगों के लाखों-करोड़ों डूब गए और कई लोग रास्ते पर आ गए। जिस कारण नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) में रिटेल ट्रेडिंग 50% से कम हो गई। क्योंकि अब ज्यादातर लोग रिटेल ट्रेडिंग करना नहीं चाहते थे। जो की नेशनल स्टॉक एक्सचेंज के लिए समस्या बन गई थी, जिस कारण वह लोगों को सुझाव मांगते हुए अखबारों में अपने लेख प्रसारित करते हैं। इस चीज को किसी अवसर की तरह देखते हुए यह दोनों भाई उनके पास जाते है, और अपने विचार को साझा करते हुए, अपनी इच्छा अनुरूप ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म बनाकर देने की मांग करते हैं, जिसके बदले में वह उनके प्लेटफार्म पर आए सभी ग्राहकों को नेशनल स्टॉक एक्सचेंज पर लाने का वादा करते हैं। उनके इस डील को मानते हुए नेशनल स्टॉक एक्सचेंज जल्द ही उन्हें ऐसा प्लेटफॉर्म बनाकर दे देते हैं। 

यह बात साल 2010 की है। जब यह दोनों भाई इस प्लेटफार्म को जीरोधा नाम से लॉन्च करते हैं। और यहां से ही जीरोधा ब्रोकरेज लिमिटेड की शुरुआत होती है। शुरुआत में ट्रेडर्स और निवेशक को कम कीमत पर अच्छी सेवाएं देने का वह लक्ष्य रखते हैं। वह अपने प्लेटफार्म के द्वारा, भारत में पहली बार स्टॉक मार्केट में ट्रेडर्स स्टॉक को खरीदने और बेचने पर डिस्काउंट देते हैं। 

शुरुआती दिनों में वह जीरोधा को खुदके द्वारा बचाए गए पैसों की मदद से चलते हैं। इस दौरान कम स्टाफ और कोई भी फंडिंग ना होने के कारण और के कारण उन्हें कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है। उन्होंने प्लेटफार्म की शुरुआत तो कर दी थी, लेकिन लोगों को पता चले इसके लिए उन्हें विज्ञापन और मार्केटिंग की आवश्यकता थी। लेकिन पैसों के कमी के कारण वह उनके लिए संभव नहीं था। जिस कारण वह खुद से कॉल करके और डोर टू डोर मार्केटिंग करके ग्राहकों को आकर्षित करने लगते हैं। अगर देखा जाए तो उनके शुरुआती 1000 ग्राहक जुगाड़ से आए थे।


संघर्ष के दिन

जीरोधा एक डिजिटल प्लेटफॉर्म होने के कारण, अक्सर उस पर ग्लिच और सिस्टम क्रैश हो जाता था, जिस दौरान ग्राहकों के पैसे स्टॉक में लगे रहते थे। जिस कारण कई बार कंपनी में डरावना माहौल तैयार हो जाता था, और इस दौरान इन दोनों भाइयों को अपनी कई राते बिना नींद के गुजारनी पड़ती है। और कई बार उनकी हिम्मत तक जवाब देने लग जाती है। पैसों की कमी के कारण वह हर कदम फूंक फूंक कर रखते हैं, और अपना हर निर्णय सोच समझकर लेना शुरू कर देते हैं। जिस दौरान वह दिन-रात मेहनत करते हैं, और अपने ग्राहकों को और भी अच्छी सेवाएं देने पर अपना लक्ष्य केंद्रित करते हैं। 


इस तरह वह अपने बुरे दिनों का सामना करते हुए, एक बहुत ही ज्यादा कामयाब कदम रखते हैं। दरअसल मार्केट में जब ज्यादातर ब्रोकरेज निवेशक और ट्रेडर्स से हर ट्रेड पर बहुत ही ज्यादा फि चार्ज किया करते थे और ट्रेड की कीमत जैसे-जैसे बढ़ती थी वैसे उनकी भी बढ़ती थी। ऐसे समय में वह अपने नए ऑफर को सामने लाते हैं। दरअसल वह अपने प्लेटफार्म के द्वारा किसी भी ग्राहक को स्टॉक के खरीदी या बिक्री करने पर सिर्फ ₹20 की फ्लैट फि चार्ज करने का निर्णय लेते है। उस वक्त उनके इस नए ऑफर ने ब्रोकरेज इंडस्ट्रीज को हिला कर रख दिया था। जिस कारन अब उनके प्लेटफार्म पर धीरे-धीरे ग्राहकों की संख्या बढ़ने लगती है। 


India's number one

यह बात साल 2015 की है। जब निखिल ऐसा मास्टर स्ट्रोक खेलने वाले थे। जो कि उनके प्लेटफार्म पर ग्राहक को कि सुनामी लाने वाला था। दरअसल वह निवेशकों को जीरोधा पर आकर्षित करने के लिए, किसी भी निवेश पर '0' ब्रोकरेज लेने का ऑफर लॉन्च करते हैं। यानी कि उस समय जब ब्रोकरेज फि के नाम पर निवेशकों को लूटा जा रहा था, तब वह ग्राहक को से निवेश करने पर फि नहीं लेने का निर्णय लेते हैं। जिस कारण ट्रेडर्स और निवेशकों में जीरोधा प्लेटफार्म पर आकर निवेश करने में होड़ लग जाती है, और उनके पास ग्राहकों की संख्या बड़े ही तेजी के साथ बढ़ने लगती है। उस समय ब्रोकरेज के क्षेत्र में ICICI सिक्योरिटी पहले पायदान पर था, जो कि दूसरे पायदान पर आ जाता है। और जीरोधा भारत का सबसे बड़ा ब्रोकरेज फ़र्म बन जाता है।

इन सबके कुछ ही साल बाद कोविड-19 के कारण देश और दुनिया भर में लॉकडाउन लगा दिया जाता है। जिस दौरान सभी लोग अपने घरों में बने थे, जिस कारण लोगो मैं स्टॉक मार्केट और इन्वेस्टमेंट की लोकप्रियता बढ़ने लगती है। 

जिससे कि लोग अब शेयर बाजार को आजमाना चाहते थे, जिसके लिए ज्यादातर लोग सबसे पहले जीरोधा को ही चुनते हैं। जिससे कि उनके पास ग्राहकों की संख्या और भी तेजी के साथ बढ़ने लगती है। 

कामथ के इन्हीं सब कदमों का नतीजा है कि, जहां पर साल 2015 में उनके पास सिर्फ 30 हजार ग्राहक हुआ करते थे, 2020 आते-आते वह बढ़कर 14 लाख हो जाते है।

निखिल कामथ साल 2019 में रिचर्ड पेटल के साथ मिलकर "ट्रू बेकन (TRUE BECAN)" एसिड मैनेजमेंट कंपनी की स्थापना करते हैं। और इसी साल वह अमांडा पूर्वणकर के साथ विवाह करते हैं, लेकिन उनकी यह शादी ज्यादा साल चली नहीं और वह साल 2021 में एक दूसरे से अलग हो जाते हैं। 

उनके अब तक के मेहनत और संघर्ष का ही नतीजा है कि वह अक्टूबर 2023 में पहली बार 37 साल की उम्र में अरबपति बनते हैं। जिससे कि उन्हें भारत के सबसे युवा अरबपतियों में एक का स्थान मिल जाता है। अगर फोर्ब्स उसकी माने तो आज के समय उनकी संपत्ति 3.1 बिलियन डॉलर है।

इतने कम उम्र में अरबपति बनने के कारण उनकी बहुत ही सराहना तो की ही जाती थी। लेकिन उन्होंने साल 2023 में "द गिविंग प्लेज" संस्था के द्वारा अपनी 50% संपत्ति दान करने का निर्णय लिया है। जिससे कि उनकी और भी तारीफ की जा रही है। 

आज के समय जब ज्यादातर भारतीय स्टार्टअप कंपनीया बर्बाद और कुछ अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है। वहीं दूसरी तरफ जीरोधा 70 लाख ग्राहकों के साथ, भारत की दूसरी सबसे बड़ी ब्रोकरेज कंपनी है, जिसका की भारतीय बाजार में 16.25% हिस्सा है। इतना सब होने के बावजूद आज भी निखिल अपने दिन 85% समय काम करते हुए बिता देते हैं।

यह दिलचस्प कहानी थी निखिल कामथ की।


कंक्लुजन: हमने इस जीवन में जाना है कि, किस तरह निखिल कामत ने बड़ी कम उम्र में स्कूल छोड़ते हुए भारत के सबसे सफल स्टार्टअप कंपनियों में से एक जीरोधा की शुरुआत की और उसे इतने बड़े मुकाम पर पहुंचाया। 

भारत के जैसे देशों में जब कोई बच्चा दसवीं कक्षा में ही अपनी स्कूली पढ़ाई छोड़ देता है, तब ऐसा माना जाता है कि उसका आगे आने वाला जीवन अंधकार में या फिर बहुत मुश्किलों से गुजरने वाल है, लेकिन निखिल ने अपने जीवन में इतने बड़े मुकाम पर पहुंचकर लोगों की यह धारणा बदल कर रख दी है। 




 


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